एक किसिम के नियाव | Ek Kisim ke Niyav by Vinay Kumar Pathak
(1)
चैतू
गौटिया यह
सबो दूध ला
अमरा देते
घर-भर के सबो
दाना दाना बार तरसते
अउ उपास म घर के
दूध घलो नई पा सके
(2)
बैसाखू
सेठ इहाँ जाके
जांगर पेर के
महल अटारी बनाथे
घर भर के सबो
छाँव भर कलापथे
फेर माटी के बेटा
माटी के घर-कुरिया नई बना सकै।
(3)
जेठू
महाजन इहाँ
सूत के ओढ़ना बनाके
दे आथे
घर भर के सबो
चेंदरी बर लुलुवाथे
इज्जत ढाँके बर
जुन्ना कपड़ा घलाव नइं पा सकै।
(4)
पुसउ
गाँव म
बिसनु भगवान के मंदिर
बनाथे
घर भर के सबो
भगवान के दरसन
अउ परसाद बर तरसथें
अउ तो अउ वो हर
मंदिर के डेहरी नई चघ सकै।
(5)
चैतू भूख म
बैसाखू घाम म
जेठू इज्जत्त म
जांगर चलात-चलात अकड़ के मर जाथे
अउ पुसउ जाड़ म
बिधाता के एहू
एक किसिम के नियाव आय
अपन भगत सो बलि लेके।
या उनला संसार के दुःख
ले उबारे के।
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