डॉ.भंवरसिंह पोर्ते छत्तीसगढ़ Doctor Bhawar Singh Porte Chhattisgarh
डॉ. भंवरसिंह पोर्ते
छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदाय को नैसर्गिक प्रतिभा की खान कहा जाता है। इस समुदाय में शौर्य और खेलकूद के अलावा शिक्षा के क्षेत्र में भी अनेक विभूतियों मे विलक्षण प्रतिभा का परिचय दिया है।
इनमें एक नाम डॉ. भवरसिह पोर्त का भी है। डॉ.पोते का जन्म 01 सितम्बर 1949 को एक गरीब आदिवासी परिवार में ग्राम बदरोडी, मरवाही जिला-बिलासपुर जिले में मरवाही विकासखण्ड में हुआ।
इनकी प्रारंभिक शिक्षा ग्राम सिवनी में हुई। इन्होंने हाईस्कूल एवं उच्चतर माध्यमिक स्तर की पढ़ाई बिलासपुर जिले के पेण्ड्रा में पूरी की। डॉ. पोर्ते ने विद्यार्थी जीवन से ही आदिवासी शोषण के विरुद्ध आदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाई।
इन्होंने अपने साथ-साथ समुदाय के अन्य युवाओं को भी अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया। डॉ. पोर्ते ने सन् 1972 में पहली बार मध्यप्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ा और उसमें वे विजयी हुए।
उन्हीं दिनों आदिवासियों की सेवा का उद्देश्य लेकर अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के माध्यम से देश के विभिन्न भागों में आदिवासियों की जागरूकता के लिए अनेक प्रयास हो रहे थे।
इस परिषद के संस्थापक अध्यक्ष स्व कार्तिक उराव की प्रेरणा से डॉ. पोर्ते ने मध्यप्रदेश में आदिवासी- विकास- परिषद की स्थापना की। इन्होंने मध्यप्रदेश के अनेक सुदूरवर्ती इलाकों में आदिवासियों को जागरूक बनाने के लिए अদियान बलाया।
डॉ. पोते ने मध्यप्रदेश के दूरस्थ आदिवासी अचलों का लगातार प्रनण किया और वहां के आदिवासी समुदाय को उनके अधिकारों एवं स्दानिमान के प्रति हर ढंग से सचेत किया। वी मध्यप्रदेश शासन में मंत्री भी रहे।
आदिवासियों के विकास व उत्थान के लिए उनके योगदान को चिर-स्थायी बनाये रखने के लिए छत्तीसगढ़ शासन ने डॉ नरसिंह पार्ट सन्मान स्थापित किया है। इस सम्मान के अंतर्गत प्रशस्ति पत्र एवं 2 लाख रुपये. की सम्मान राशि दी जाती है।