छत्तीसगढ़ के मेले
मेला भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख अंग है . छत्तीसगढ़ में मेले यहाँ के आर्थिक , सामाजिक , सांस्कृतिक व धार्मिक विविधताओं के अपूर्व संगम है । छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक मेले मार्च – अप्रैल में लगे है । वस्तुतः छत्तीसगढ़ी संस्कृति में मेले और जनजाति क्षेत्रों में आयोजित होनेवाली मंडई जान आस्था एवं असीम लोकप्रेम की अभिव्यक्ति है
जनजातियों की लोकसंस्कृति मेले व मंडई में सम्पूर्ण यौवन के साथ उठती है । इन अवसरों पर लोकजीवन का आनंद अपनी सम्पूर्ण परंपरा के साथ छलक परता है छत्तीसगढ़ में मेलो की विधिवत गर्न सं 1961 में हुए थी . उस समाया सर्वाधिक मेले अभिबाजित बिलासपुर संभाग में 79 दर्ज किये गए थे । एवं रायपुर संभाग में 78 मेले की गर्न हुए थी । Chhattisgarh Ke Mele Mandai Fairs of Chhattisgarh
महीनो में लगने वाले कुछ प्रशिद्ध मेले
जनवरी :- जाटलूर में कोंडाइमटा
फरवरी :- अंतागढ़ , भानुप्रतापपुर , नारायणपुर व रामराम के मेले
मार्च :- दंतेवाड़ा का 9 दिवसीय मेला , खेशकाल कोंडागांव व शाकलणाऱ्यान के मेले
मई :- इलमीरी में पोचमपदेवी का मेला
सितम्बर :- लिनेश्वरी मेला अलोर ( फरसगाओं )
छत्तीसगढ़ के मेले
क्रमांक | मेले | स्थान |
1. | सिरपुर का मेला | सिरपुर (महासमुंद) |
2. | रतनपुर का मेला | रतनपुर (बिलासपुर) |
3. | दशहरा का मेला | जगदलपुर (बस्तर) |
4. | कर्णेश्वर का मेला | देऊरपार बुनेस्वर, सिहावा, धमतरी |
5. | बम्हनी का मेला | बहमनी (महासमुंद) |
6. | चम्पारण का मेला | चम्पारण राजिम (रायपुर) |
7. | चंडी मेला | बिरकोनी (महासमुंद) |
8. | दंतेश्वरी मेला | दंतेवाड़ा |
9. | गिरौधपुरी का मेला | गिरौधपुर (रायपुर) |
10. | महादेव घाट मेला | रायपुरा (रायपुर) |
11. | भोरमदेव का मेला | भोरमदेव (कबीरधाम) |
12. | माँ बंजारी धाम मेला | खपरिभात्ति, तिल्दा (रायपुर) |
13. | नरसिंग मेला | रायपुर |
14. | डोंगापथरा का मेला | खरेंगा (धमतरी) |
15. | रुद्रेश्वर का मेला | रुद्री (धमतरी) |
16. | बिलाई माता का मेला | धमतरी |
17. | कबीरपंथियो का मेला | कुदुरमाल ,चाम्पा |
18. | दामाखेड़ा का मेला | दामाखेड़ा ( रायपुर ) |
19. | माँ बम्लेश्वरी का मेला | डोंगरगढ़ ( राजनांदगाव ) |
20. | खल्लारी का मेला | खल्लारी ( महासमुंद ) |
21. | श्रृंगी ऋषि का मेला | सिहावा ( धमतरी ) |
22. | तुरतुरिया का मेला | तुरतुरिया – कसडोल – रायपुर |
23. | झलमला का मेला | झलमला ( राजनांदगाव ) |
24. | बिल्हा का मेला | बिलासपुर जिला ( माघपूर्णिमा ) |
25. | उपका का मेला | बिलासपुर जिला ( माघपूर्णिमा ) |
26. | सेतगंगा का मेला | बिलासपुर जिला ( माघपूर्णिमा ) |
27. | बेलपान का मेला | बिलासपुर जिला ( माघपूर्णिमा ) |
28. | मल्हार का मेला | बिलासपुर जिला ( महाशिवरात्रि ) |
29. | कनकी का मेला | बिलासपुर जिला ( महाशिवरात्रि ) |
30. | सेमरसोत का मेला | बिलासपुर जिला ( महाशिवरात्रि ) |
31. | देवरघात का मेला | जांजगीर- चापा ( होली ) |
32. | शिवरीनारायण का मेला | जांजगीर- चापा ( मकरसक्रांति ) |
33. | लाखंघात का मेला | जांजगीर- चापा ( होली ) |
34. | पीथमपुर का मेला | जांजगीर- चापा |
35. | अखरार का मेला | कोरबा ( जनवरी ) |
36. | कटघोरा का मेला | कोरबा ( जनवरी ) |
37. | रामगढ़ का मेला | सरगुजा जिला |
38. | देवगढ़ का मेला | सरगुजा जिला |
39. | महेशगढ़ का मेला | सरगुजा जिला |
40. | सीतापुर का मेला | सरगुजा जिला |
41. | सूरजपुर का मेला | सरगुजा जिला |
42. | कुदरगढ़ का मेला | सरगुजा जिला |
43. | लाची का मेला | सरगुजा जिला |
44. | करवा का मेला | सरगुजा जिला |
45. | कल्याणपुर का मेला | सरगुजा जिला |
46. | धीर्राका मेला | सरगुजा जिला |
47. | डिपाली का मेला | सरगुजा जिला |
48. | हकला का मेला | सरगुजा जिला |
49. | दुर्गापुर का मेला | सरगुजा जिला |
50. | रहनत का मेला | सरगुजा जिला |
51. | करिचलागली का मेला | सरगुजा जिला |
52. | सोनहत का मेला | सरगुजा जिला |
53. | तातापानी का मेला | सरगुजा जिला |
54. | कैलाशपुर का मेला | सरगुजा जिला |
विश्व प्रसिद्ध बस्तर का दशहरा मेला:- यह छत्तीसगढ़ का विश्व विख्यात वनवासी अंचल कासर्वमान्य व सर्वोपरि उत्सव है। बस्तर के आदिवासी अंचल में मनाये जाने वाला दशहराविजयादशमी के प्राचीन परम्परा का संवाहक नहीं है। अपितु इसमें बस्तर की आदिम आदिवासीराज-संस्कृति के विशिष्ट तत्व समाहित हैं।Chhattisgarh Ke Mele Mandai Fairs of Chhattisgarh
इस वर्ष का प्रारंभ काकतीय राजवंश के चतुर्थ नरेश पुरुषोत्तम देव (सन् 1408 से 1439 के समय से माना जाता है। यह दशहरा राज परिवार द्वारा उल्लासपूर्वक 10 दिनों तक मनायाजाता है, वैसे इसका उत्सव क्रम 75 दिनों तक चलता रहता इस उत्सवपूर्ण सांस्कृतिक मेले को देखने के लिए न सिर्फ भारत के कोने-कोने से अपितु विश्व के पर्यटन प्रेमियों का तांता लगा रहता है।
बस्तर में दशहरा पर्व का आरम्भ काछिन – गादी नामक परम्परा से होता है, जिसमें बस्तर काराजा हाथी पर सवार होकर काछिन गुड़ी से निर्विध्न दशहरा समाप्त होने का विनय करते हैं। इस गुड़ी में उस दिन 9 वर्ष की मिरगान कुआरी कन्या के ऊपर देव आता है। प्रतिवर्ष इस हेतुअलग-अलग कन्या का चयन होता है।Chhattisgarh Ke Mele Mandai Fairs of Chhattisgarh
मिरगान कुआरी कन्या कांटेदार झूले आदि पर लेटकर अन्य कई रस्मों को पूरा कर यदि अपने गले से माला पुजारी को देती है तो समझा जाता है दशहरानिर्विध्र सम्पन्न होगा इस ऐतिहासिक दशहरे में अनेक परम्परागत रस्में निभायी जाती हैं, जिसमें प्रमुखहैं-जोगी बिठाई, रथ परिक्रमा, मावली परघाव, रथ की परम्परागत चोरी व अंत में मुरिया दरबारलगना है।
रथ-निर्माण कार्य भी अत्यधिक परम्परागत होता है। रथ दो मंजिल मकान की ऊंचाई काबनाया जाता है। इसमें आठ बड़े-बड़े लकड़ी के चक्र होते हैं। यह रथ फूलों से सुसज्जित रहताहै। मोटी-मोटी रस्सियों से सैकड़ों आदिवासी इसे श्रद्धापूर्वक खींचते हैं।
रथ निर्माण के समयप्रथम पाटा लकड़ी ग्राम बिलोरी के तीस-चालीस ग्रामीणों द्वारा लायी जाती है। रथ के हर हिस्से की लकड़ी निश्चित ग्रामों से ही लायी जाती है।बस्तर का यह महापर्व आपसी सद्भाव व प्रेम का पुरातन संस्कृति के प्रति गहन निष्ठा का प्रतीक है। अपनी अनेक विशिष्टिताओं के कारण बस्तर की लोक संस्कृति का यह ऐतिहासिक उत्सव विश्व स्तर पर ख्याति प्राप्त कर चुका है।Chhattisgarh Ke Mele Mandai Fairs of Chhattisgarh
वैसे तो हमने सभी मेले देख लिए है लेकिन आईये फिर भी कुछ मेले वे भी देखते है जो त्यहारो के हिसाम से लगते है ।
छत्तीसगढ़ के मेले त्योहारों के अनुसार
मांघ पूर्णिमा से महाशिव रात्रि तक भरने वाला मेला राजिम मेला > गरियाबंद सिरपुर मेला > महासमुंद दामा खेड़ा मेला > बलौदा बाजार कुदुरमाल मेला > जांजगीर चांपा शिवरी नारायण मेला जांजगीर चांपा नोट : दामा खेड़ा कबीर मठ का स्थापना 12 वें गुरू उग्रनाथ ने किया था। |
मांघ पूर्णिमा के दिन लगने वाला मेला रतनपुर मेला > बिलासपुर बेलपान मेला > तखतपुर बिलासपुर कर्णेश्वर मेला > सिहावा धमतरी सेतु गंगा मेला > मुंगेली |
महाशिव रात्रि के दिन लगने वाला मेला मल्हार मेला > बिलासपुर कनकी मेला > बिलासपुर बरगढ़ मेला > रायगढ़ तुर्की मेला > जांजगीर चांपा |
राम नवमीं (चैत्र नवरात्रि) में लगने वाला मेला डोगरगढ़ मेला > राजनांदगाँव भोरमदेव मेला > कवर्धा रतनपुर मेला > बिलासपुर चन्द्रपुर मेला > जांजगीर चांपा डमरा मेला > जांजगीर चांपा खल्लारी मेला > महासमुंद मंडवारानी मेला > कोरबा |
पौष पंचमी में लगने वाला मेला (बंसत पंचमी) गिरौदपुरी मेला > बलौदा बाजार कुटीघाट मेला> जांजगीर चांपा तुरतुरिया मेला > बलौदाबाजार (पौष पूर्णिमा) |
कार्तिक पूर्णिमा में लगने वाला मेला महादेव घाट > खारून नदी के किनारे (रायपुर) |
मकर संक्रांति में लगने वाला मेला लखन घाट मेला > जांजगीर चांपा (हसदेव नदी के किनारे) |
दलहा पहाड़ मेला (नाग पंचमी) कृष्ण जन्माष्टमी मेला रायगढ़ घुल पंचमी का मेला > पीथमपुर (जांजगीर चांपा) नागा साधुओं द्वारा शिव जी का बारात निकाला जाता है। नोट :- बुद्ध पूर्णिमा को सिरपुर महोत्सव होता है। |
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