छत्तीसगढ़ के हबीब तनवीर Chhattisgarh ke Habeeb Tanveer Habeeb Tanveer of Chhattisgarh
प्रख्यात रंगकर्मी हबीब तनवीर का आधुनिक भारतीय नाटक केविकास में अभूतपूर्व योगदान रहा है। हबीब तनवीर का जन्म 1 सितम्बर सन् 1923 ई. को रायपुर में हुआ था। उनका मूल नाम हबीब अहमद खाँ था। उनके पिताजी का नाम हाफ़िज़ मोहम्मद हयात ख़ाँ था ।
हबीब तनवीर को बचपन से ही कविता लिखने का शौक चढ़ा। उन्होंने पहले तनवीर के छद्मनाम से लिखना शुरू किया जो बाद में उनका नाम बन गया। उन्होंने लॉरी म्युनिसिपल हाई स्कूल से मैट्रिक व सन् 1944 ई. में मॉरीस कॉलेज, नागपुर से स्नातक और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से एम.ए. की परीक्षा पास की। ( छत्तीसगढ़ के हबीब तनवीर Chhattisgarh ke Habeeb Tanveer Habeeb Tanveer of Chhattisgarh )
सन् 1945 ई. में हबीब तनवीर मुम्बई चले गए। वहाँ उन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिए कई गाने लिखे और राही, दिया जले सारी रात, आकाश, लोकमान्य तिलक, फुटपाथ, नाज़, बीते दिन, ये वो मंजिल तो नहीं और प्रहार जैसी फिल्मों में अभिनय भी किया। कालांतर में वे प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़ इंडियन पीपुल्स थियेटर एसोसिएशन के अंग बन गए।
हबीब तनवीर सन् 1946 ई. से 1950 ई. तक फ़िल्मी साप्ताहिक पत्रिका द बाक्स आफिस के सह-संपादक रहे। इसी दौरान उन्हें फिल्मों में संवाद और रेडियो नाटक लेखन का अवसर भी मिलने लगा हबीब तनवीर भारत के मशहूर पटकथा लेखकों, नाट्य निर्देशकों, कवियों और अभिनेताओं में से एक थे जब ब्रिटिश शासन के विरूद्ध कार्य कर रहे इप्टा से जुड़े कई लोग जेल चले गए तब हबीब तनवीर इप्टा के लिए उन्होंने कई नुक्कड़ नाटक लिखे और निर्देशन का कार्य भी किया।
सन् 1954 ई. में हबीब तनवीर दिल्ली हिन्दुस्तानी थियेटर से जुड़ गए। उन्होंने बाल थियेटर के काम कई नाटकों की रचना की दिल्ली में ही उनकी मुलाकात अभिनेता-निर्देशक मोनिका मिश्रा से हुई, जिनसे उन्होंने शादी कर ली।( छत्तीसगढ़ के हबीब तनवीर Chhattisgarh ke Habeeb Tanveer Habeeb Tanveer of Chhattisgarh )
हबीब तनवीर अकसर कहा करते थे “मेरे लिए तो ओढ़ना-बिछौना ही थियेटर है। यदि मेरी शादी किसी और से हुई होती, जो थियेटर को स्वीकार नहीं कर पाती तो मेरे लिए थियेटर करना मुष्किल हो जाता।” मोनिका जी ने उनको न केवल थियेटर करने की इजाजत दी, वरन् नाटक की स्क्रिप्ट तैयार करने से लेकर उसके स्टेज पर प्रदर्शित होने तक हर काम में उनके साथ लगी रहती।
हबीब तनवीर ने इंग्लैण्ड से नाटक का प्रशिक्षण प्राप्त किया फिर उसके बाद निर्देशन और नाटक पढ़ाने के कोर्स भी किए। सन् 1959 ई. में दिल्ली में उन्होंने ‘नया थियेटर’ कंपनी स्थापित की जिसमें उन्होंने अनेक प्रसिद्ध उर्दू और अंग्रेजी के नाटक किए। बाद में हबीब ने हिन्दी, उर्दू और छत्तीसगढ़ी बोली के नाटकों की ओर रूख किया। सन् 1972 से 1978 ई. तक हबीब तनवीर राज्यसभा के सदस्य रहे ।( छत्तीसगढ़ के हबीब तनवीर Chhattisgarh ke Habeeb Tanveer Habeeb Tanveer of Chhattisgarh )
हबीब तनवीर एक सफल पत्रकार, समीक्षक, गीतकार, संगीतकार “कुशल वक्ता होने के साथ-साथ एक सफल नाटककार भी रहे थे। उनके चर्चित नाटकों में आगरा बाजार, मिट्टी की गाड़ी, रूस्तम सोहराब, लाला सोहरत राय, मेरे बाद, मोर नाँव दमाद गाँव के नाँव ससुरार, चरणदास चोर, बहादुर कलरिन, सोनसागर, हिरमा की अमर कहानी, एक और द्रोणाचार्य, दुश्मन, जिन लाहौर नहीं देख्या आदि प्रमुख हैं।
उन्होंने अनेक प्रसिद्ध नाटक लिखे, उनका निर्देशन किया और स्वयं अभिनय भी किया। उनके नाट्य समूह में अधिकांश पात्र ग्राम्य जीवन से संबंधित थे। अलग-अलग जिलों में स्थानीय नाट्य समूहों के साथ मिलकर कार्यशालाओं का आयोजन करना उनका मुख्य उद्देश्य था ।( छत्तीसगढ़ के हबीब तनवीर Chhattisgarh ke Habeeb Tanveer Habeeb Tanveer of Chhattisgarh )
उनको संगीत नाटक एकेडमी अवार्ड, शिखर सम्मान, जवाहरलाल नेहरू फैलोशिप, इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ एवं रवीन्द्र भारती कलकत्ता द्वारा डी.लिट्. की उपाधि, महाराष्ट्र राज्य उर्दू अकादमी पुरस्कार दिल्ली साहित्य कला परिषद पुरस्कार, कालीदास सम्मान और म.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन का भवभूति अलंकरण, पश्री, पद्मविभूषण और छत्तीसगढ़ शासन के दाऊ मंदराजी सम्मान से सम्मानित किया गया।
उन्होंने अपने नाटकों में छत्तीसगढ़ी लोकनाट्य नाचा के पारंपरिक संगीत, वाद्य, नृत्य, गायन, अभिनय और मंच का अत्यंत कलात्मक एवं कल्पनाषील प्रयोग किया। इस प्रकार रंगमंच की उन्होंने नई परिभाषा गढ़ी और विशिष्ट पहचान स्थापित की। हबीब तनवीर ने स्कॉटलैंड, इंग्लैंड, वेल्स, आयरलैंड, हॉलैंड, जर्मनी, यूगोस्लाविया, फांस और रूस इत्यादि देशों में अपने श्रेष्ठ नाट्य प्रदर्शनों से केवल अपने और अपने नाट्य दल अपने देश के लिए भी सम्मान और गौरव अर्जित किया है ।हबीब तनवीर का देहावसान 8 जून सन् 2009 को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हुआ ।