
छत्तीसगढ़ भूजल प्रबंधन और विनियमन विधेयक – Chhattisgarh Bhujal Prabandhak Aur Viniyaman vidheyak
छत्तीसगढ़ में भूजल के दोहन को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने विधानसभा में विधेयक (कानून) पारित किया। इसके तहत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तर पर एक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। इसमें विभिन्न विभागों और क्षेत्रों के कुल 14 सदस्य रहेंगे। वहीं, जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में भूजल परिषद का भी गठन किया जाएगा।
राज्य में भू-जल उपलब्धता के प्रमुख तथ्य |
- छत्तीसगढ़ राज्य में वार्षिक भू-जल पुर्नभरण 11.57 बी. सी. एम.
- छत्तीसगढ़ राज्य में वार्षिक निकासी योग्य भू-जल की उपलब्धता 10.57 बी.सी. एम.
- छत्तीसगढ़ राज्य में समस्त उपयोगकर्ताओं द्वारा वार्षिक भू-जल दोहन 4.70 बी. सी. एम.
- औसत भूजल दोहन का स्तर 44.43न है। छत्तीसगढ़ राज्य सुरक्षित (सेफ) श्रेणी में वर्गीकृत है।
- अधिकतम औसत भूजल दोहन का स्तर दुर्ग जिला(82.55%) है।
- निम्न औसत भूजल दोहन का स्तर नारायणपुर जिला (3.92%) है।
भूजल दोहन की दृष्टि से राज्य के कुल 146. विकासखंडो का भूजल स्तर का वर्गीकरणनिम्नानुसार है :-
- अतिदोहन (100 प्रतिशत से अधिक) कोई नहीं ( छत्तीसगढ़ भूजल प्रबंधन और विनियमन विधेयक – Chhattisgarh bhujal prabandhak aur viniyaman vidheyak )
- संकटकालीन (10 से 100 प्रतिशत) धरसींवा (92.81%) 2 विकासखंड गुरूर (96.62% ) एवं अर्धसंकटकालीन (70 से 90 प्रतिशत) 22 विकासखंड बालोद, बेमेतरा, बेरला, साजा, नवागढ़, धमधा, दुर्ग, पाटन, धमतरी, कुरूद, राजिम, बसना, पिथौरा, डोंगरगांव, राजनांदगांव, कवर्धा, पंडरिया, बिल्हा, तखतपुर, मालखरौदा, बरमकेला एवं पुसौर।
- छत्तीसगढ़ में भू-जल की गुणवत्ता सामान्य रुप से पेयजल, घरेलू औद्योगिक और कृषि उपयोग हेतु योग्य है। केन्द्रीय भू-जल परिषद् द्वारा प्रकाशित प्रतिवेदन अनुसार स्थानीय तौर पर कुछ इलाके यथा राजनांदगांव के चौकी विकासखंड में आरसेनिक, बेमेतरा, नवागढ़ के कुछ गावों मे सल्फेट एवं बस्तर, बालोद आदि कुछ जिलो मे लौह मात्रा एवं मानक मापदंड से अधिक पाई गई है।( छत्तीसगढ़ भूजल प्रबंधन और विनियमन विधेयक – Chhattisgarh bhujal prabandhak aur viniyaman vidheyak )
- साथ ही कुछ जिलों में नाइट्रेट एवं फ्लोराइडभी मानक मापदंड से अधिक पाई गई है। उक्त आंकड़े / जानकारी केन्द्रीय भू-जल परिषद् द्वारा प्रकाशित भू-जल आंकलन प्रतिवेदन 2017 से ली गई है।
छत्तीसगढ़ राज्य में भू-जल के स्तर में लगातार हो रही गिरावट एवं उस पर बढ़ते हुए निर्भरता को ध्यान में रखते हुये प्रदेश में बेहतर भू-जल प्रबंधन एवं व्यापक रूप से भू-जल संरक्षण बाबत छत्तीसगढ़ भू-जल ( प्रबंधन एवं विनियमन) अधिनियम 2022 की आवश्यकता प्रतीत हो रही है।
भूपेश मंत्रीपरिषद की बैठक में अनुमोदन |
मुख्य मंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई मंत्रीपरिषद की बैठक में भू-जल (प्रबंधक भूजल और विनियमन) विधेयक 2022 के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया। यह विधेयक विधान सभा के मानसून सत्र में सदन की पटल पर आने की संभावना है।
भू-जल अधिनियम लागू होने से उद्योगों एवं अन्य के द्वारा अंधाधुंध किए जा रहे भू जल के दोहन पर रोक लगेगी। इस अधिनियम द्वारा बेहतर भूजल प्रबंधन हेतु राज्य में त्रिस्तरीय राज्य जिला एवम विकासखण्ड स्तर पर ऑथोरिटी प्रस्तावित है।( छत्तीसगढ़ भूजल प्रबंधन और विनियमन विधेयक – Chhattisgarh bhujal prabandhak aur viniyaman vidheyak )
अधिनियम बनाने की चर्चा 2020 के भारत सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट व नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के दिशा निर्देश के अनुसार भूजल के अनियंत्रित भूजल के उपयोगकर्ता के पूर्व मौजूदा अधिकार दोहन को नियंत्रित करने संबंधी दिशा निर्देश राजपत्र निर्धारित अवधि के लिए वैध बने रहेंगे। में जारी किया गया था। इस दिशा निर्देश के अनुसार भूजल उपयोग करने वाले को भूजल निकासी की अनापत्ति प्रमाणपत्र भूजल प्राधिकरण से लेना होगा ।
विधेयक की मुख्य विशेषताएं |
व्यक्तिगत घरेलू उपभोक्ताओं, ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजना, कृषि गतिविधियों को भूजल निकासी की अनुमति प्राप्त करने से छूट दी गई है। भू-जल का उपयोग करने वाले सभी उद्योग / खनन / अधोसंरचना परियोजनाओं / वाणिज्यिक / को भूजल निकासी की मात्रा और मूल्यांकन इकाई की श्रेणी के आधार पर भूजल निकासी शुल्क का भुगतान करना होगा।
निजी टैंकर भूजल की आपूर्ति करते हैं तो इसे थो जल आपूर्तिकर्ता के रूप में अनिवार्य रूप से भूजल निकासी के लिए अनुमति मांगेंगे।( छत्तीसगढ़ भूजल प्रबंधन और विनियमन विधेयक – Chhattisgarh bhujal prabandhak aur viniyaman vidheyak )
सभी ड्रिलिंग एजेंसी / रिंग को पंजीकृत किया जाना है। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में भूजल के प्रत्येक उपयोगकर्ता को वर्षा जल संचयन और रिचार्जिंग विधियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।( छत्तीसगढ़ भूजल प्रबंधन और विनियमन विधेयक – Chhattisgarh bhujal prabandhak aur viniyaman vidheyak )
इस बिल के तहत किए गए प्रावधान का उल्लंघन दंडनीय होगा। राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा इस अधिनियम के तहत किए गए प्रावधानों को लागू करने के लिए नियम बना सकती है।
तीन से छह माह तक का कारावास |
कानून का उल्लंघन करने वालों पर न्यूनतम तीन माह और अधिकतम एक वर्ष तक का कारावास हो सकता है। साथ ही पांच से 10 हजार रुपये तक जुर्माना हो सकता है। एक ही व्यक्ति यदि दूसरी बार वही अपराध करता है तो सजा छह माह से एक वर्ष तक और अर्थदंड 10 से 15 हजार रुपये तक हो सकता है।
वाणिज्यिक या औद्योगिक संस्था द्वारा यदि नियमों का उल्लंघन किया जाता है तो न्यूनतम छह माह और अधिकतम दो वर्ष तक की सजा और 10 से 25 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। ( छत्तीसगढ़ भूजल प्रबंधन और विनियमन विधेयक – Chhattisgarh bhujal prabandhak aur viniyaman vidheyak )
पहला अनुपूरक बजट 2022-23 पारित |
छत्तीसगढ़ विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2022-23 का 2904 करोड़ 41 लाख 70 हजार 571 रूपए का प्रथम अनुपूरक बजट ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।( छत्तीसगढ़ भूजल प्रबंधन और विनियमन विधेयक – Chhattisgarh bhujal prabandhak aur viniyaman vidheyak )
प्रथम अनुपूरक अनुमान (2022-23) एक नजर में
मुख्यमंत्री बघेल ने चर्चा के दौरान कहा कि राज्य का वर्ष 2022-23 के मुख्य बजट का आकार 1 लाख 12 हजार 603 करोड़ 40 लाख रूपए है, 2 हजार 904 करोड़ 42 लाख रूपए के प्रथम अनुपूरक बजट के बाद इसका आकार बढ़कर 1 लाख 15 हजार 507 करोड़ 82 लाख रूपए हो गया है। प्रथम अनुपूरक बजट में 2 हजार 904 करोड़ 42 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है, जिसमें राजस्व व्यय 2 हजार 467 करोड़ 99 लाख रूपए तथा पूंजीगत व्यय 436 करोड़ 43 लाख रूपए है। यह छत्तीसगढ़ के इतिहास का सबसे बड़ा बजट है। ( छत्तीसगढ़ भूजल प्रबंधन और विनियमन विधेयक – Chhattisgarh bhujal prabandhak aur viniyaman vidheyak )
- मुख्यमंत्री ने राज्य में कुशल वित्तीय प्रबंधन की जानकारी देते हुए कहा कि केन्द्र सरकार हमारे राज्य के हक और हिस्से के वित्तीय संसाधनों में समय समय पर कमी करती रही है। इसके बावजूद वर्ष 2021-22 में कुल राजस्व प्राप्तियां 79 हजार 688 करोड़ हैं, जिसमें राज्य की स्वयं की राजस्व प्राप्तियां 41 हजार करोड़ तथा केन्द्र से प्राप्तियां 38 हजार 688 करोड़ हैं। इस प्रकार राज्य की राजस्व प्राप्ति केन्द्र की तुलना में अधिक है। कई वर्षों के बाद ऐसा पहली बार हुआ है। यह हमारी सफल अर्थनीति के कारण हुआ है।( छत्तीसगढ़ भूजल प्रबंधन और विनियमन विधेयक – Chhattisgarh bhujal prabandhak aur viniyaman vidheyak )
- वर्ष 2021-22 में राजस्व व्यय 75 हजार 366 करोड़ है, जो कुल व्यय का 87 प्रतिशत है। वर्ष 2021-22 में राज्य के राजस्व में 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई है तथा राजस्व आधिक्य 4 हजार 321 करोड़ है। वर्ष 2021 22 में पूंजीगत व्यय 10 हजार 890 करोड़ है, जो कि कुल व्यय का 12.6 प्रतिशत तथा अब तक का सर्वाधिक है।
- कोविड- 19 की दूसरी लहर के कारण वर्ष 2021-22 में प्रथम तिमाही में राज्य के राजस्व में कमी तथा जनहित के कार्यों एवं पूंजीगत व्यय के लिए आवश्यक संसाधन जुटाने हेतु 4 हजार करोड़ का बाजार ऋण लिया गया। वर्ष 2021-22 में बाजार ऋण का 3 हजार करोड़ भुगतान भी किया गया है। इस प्रकार वर्ष 2021-22 में लिया गया शुद्ध बाजार ऋण केवल 1 हजार करोड़ है, जो कि वर्ष 2012-13 के बाद पिछले 10 वर्षो में सबसे कम है।( छत्तीसगढ़ भूजल प्रबंधन और विनियमन विधेयक – Chhattisgarh bhujal prabandhak aur viniyaman vidheyak )
- वित्तीय घाटा 6 हजार 812 करोड़ है, जो जीएसडीपी का मात्र 1.70 प्रतिशत है। इसमें से जीएसटी क्षतिपूर्ति ऋण 04 हजार 965 करोड़ तथा केन्द्र द्वारा दिया गया पूंजीगत व्यय हेतु ऋण 423 करोड़ कम करने पर यह 01 हजार 424 करोड़ होगा, जो जीएसडीपी का मात्र 0.36 प्रतिशत होगा। आरबीआई के अनुसार छत्तीसगढ़ का विगत 5 वर्षों का औसत कमिटेड व्यय (वेतन, पेंशन एवं ब्याज भुगतान) सभी राज्यों में सबसे कम (राजस्व व्यय का 23 प्रतिशत) है।
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