बियार जनजाति छत्तीसगढ़ Biyar janjati chhattisgarh biyar tribe chhattisgarh

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 बियार जनजाति छत्तीसगढ़ Biyar janjati chhattisgarh biyar tribe chhattisgarh
बियार जनजाति छत्तीसगढ़ Biyar janjati chhattisgarh biyar tribe chhattisgarh

नमस्ते विद्यार्थीओ आज हम पढ़ेंगे बियार जनजाति छत्तीसगढ़ Biyar janjati chhattisgarh biyar tribe chhattisgarh  के बारे में जो की छत्तीसगढ़ के सभी सरकारी परीक्षाओ में अक्सर पूछ लिया जाता है , लेकिन यह खासकर के CGPSC PRE और CGPSC Mains में आएगा , तो आप इसे बिलकुल ध्यान से पढियेगा और हो सके तो इसका नोट्स भी बना लीजियेगा ।

बियार जनजाति छत्तीसगढ़ Biyar Janjati Chhattisgarh Biyar Tribe Chhattisgarh

बियार जनजाति की उत्पत्ति 

बियार छत्तीसगढ़ की एक अल्पसंख्यक जनजाति है। 2011 की जनगणना में राज्य में इनकी जनसंख्या 5525 दर्शित है। इनमें 2736 पुरुष एवं 2789 स्त्रियाँ थी। इनकी आबादी मुख्यतः कोरिया जिले में है। ( बियार जनजाति छत्तीसगढ़ Biyar janjati chhattisgarh biyar tribe chhattisgarh )

इनकी उत्पत्ति के संबंध में ऐतिहासिक अभिलेख नहीं मिलती। किवदन्ती के अनुसार के अनुसार एक बार शिव एवं पार्वती विन्ध्याचल में विचरण कर रहे थे। पार्वती की इच्छा धान की खेती करने को हुई उनसे निवेदन पर भगवान शिव ने एक पुरुष व महिला उत्पन्न किया जो जंगल काटकर उसे जलाकर राख के ऊपर धान की बीज छिड़ककर खेती किया। इन्हीं से वियानाति के लोग अपनी उत्पत्ति मानते हैं। बुजुगों के अनुसार छत्तीगसड़ में इस जनजाति के लोगों के पूर्वज उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर जिले के दूधी तहसील से प्रयासित होकर आये।

बियार जनजाति मुख्यतः गॉड, खैरवार आदि जनजातियों के साथ गाँव में निवास करते हैं। इनका घर मिट्टी की बनी होती है, जिस पर देशी खपरैल का उप्पर होता है। घर में दो-तीन कमरे व सामने परछी होता है। दीवारों की पुताई सफेद मिट्टी से की हुई होती है। घर का फर्श मिट्टी का होता है, जिसे गोबर से लोपते हैं। पशुओं का कोठा अलग होता है। इनके घर में अनाज रखने की कोठी, चक्की, मूसल, चारपाई, ओदने बिछाने के कपड़े रसोईघर में चूल्हा, कुछ बर्तन, कृषि उपकरण आदि पाये जाते हैं। ( बियार जनजाति छत्तीसगढ़ Biyar janjati chhattisgarh biyar tribe chhattisgarh )

बियार जनजाति के रहन-सहन 

पुरुष व स्त्रियों दाँतों की सफाई बबूल, करंज, नीम, हर्रा की दातुन से करते हैं। प्रतिदिन स्नान करते हैं। बाल चिकनी मिट्टी से धोकर, सुखाकर मूंगफली या तिल का तेल डालकर कंघी करते हैं। स्त्रियाँ चोटी बनाकर जूड़ा बनाती हैं। स्त्रियों के शरीर पर गुदना पाया जाता है। महिलायें गहनों की शौकीन होती है। इनके वस्त्र विन्यास में पुरुष पंछा, बंडी तथा स्विय सुगड़ा पोलका पहनती हैं।

इनका मुख्य भोजन कोदो, चावल का भात, गेहूँ की रोटी, उड़द, अरहर, मूंग की दाल, मौसमी साग-भाजी है। मांसाहार में मछली, मुर्गा, बकरे का मांस खाते हैं। पुरुष महुआ से निर्मित शराब प घोड़ी पीते हैं। ( बियार जनजाति छत्तीसगढ़ Biyar janjati chhattisgarh biyar tribe chhattisgarh )

बियार जनजाति के व्यवसाय 

इस जनजाति का आर्थिक जीवन मुख्यतः कृषि, मजदूरी और जंगली उपज संग्रह पर आधारित है। इनके मुख्य फसल कोदो, धान, मक्का, उड़द, मूंग, अरहर, तिल आदि हैं। जिनके पास खेती नहीं है या कम खेती है, अन्य आदिवासी या गैर आदिवासी के खेतों में मजदूरी करने जाते हैं। जंगल से महुआ, गुल्ली, चार, तेंदू पत्ता, हर्रा, लाख, आंवला आदि एकत्र कर स्थानीय बाजार में बेचते हैं। वर्षा ऋतु में मछली अपने उपयोग के लिये पकड़ते है ।

 बियार जनजाति दो उपजातियों क्रमशः बरहरिया और दखिनाहा में विभक्त है। सोन नदी के उत्तर से उत्पत्ति मानने वाले बरहरिया और दक्षिण से उत्पत्ति मानने वाले दखिनाहा कहलाता है। उपजाति बहिर्विवाही होता है। इनके प्रमुख गोत्र कन्नौजिया, सरवार, बरवार, महतो, कहतो, काशी, बरहार आदि हैं। विवाह के लिए वर-वधू का अलग-अलग गोत्र होना आवश्यक है। ( बियार जनजाति छत्तीसगढ़ Biyar janjati chhattisgarh biyar tribe chhattisgarh )

बियार जनजाति के परम्परा 

गर्भवती महिलाएँ प्रसव के पूर्व तक आर्थिक एवं पारिवारिक कार्य करती है। गर्भावस्था में कोई संस्कार नहीं पाया जाता। प्रसव परिवार की बुजुर्ग महिलाएँ व स्थानीय दाई के द्वारा घर पर कराया जाता है। बच्चे का नाल चाकू से काटकर प्रसव स्थान पर गढ़ाते हैं।

कुलथी, पीपर, सॉठ, सरईछाल, छिंद की जड़, एठीमुदी, गुड़ का कादा बनाकर प्रसूता को पिलाते हैं। छठे दिन छठी मनाते हैं। प्रसूता एवं बच्चे को महलाकर नया कपड़ा पहनाकर, सूरज, धरती व फुल देवता पूर्वजों का प्रणाम कराते है ।( बियार जनजाति छत्तीसगढ़ Biyar janjati chhattisgarh biyar tribe chhattisgarh ) 

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लड़कों का विवाह उम्र 15-20 व लड़कियों का 14-18 वर्ष माना जाता है। विवाह का प्रस्ताव पर पक्ष से प्रारंभ होता है। वर के पिता वधू के पिता को “लगन भरना” के रूप में 50 से 200 रुपये, 2 कि.ग्रा. हल्दी, 5 कि.ग्रा. तेल, 5 कि.ग्रा. गुड़ देता है। विवाह सम्पन्न कराने के लिए अब ब्राह्मण बुलाते हैं। पहले बुजुर्ग व्यक्ति हो विवाह सम्पन्न करा देता था। विनिमय, सेवा विवाह, घुसपैठ, सहपलायन, विधवा पुनर्विवाह, देवर भाभी पुनर्विवाह भी मान्य है।

मृत्यु होने पर मृतक को जलाते हैं। अस्थि को सोननदी या नजदीक के किसी नदी में विसर्जित करते हैं। 10वें दिन स्नान करने के बाद पूर्वजों की पूजा करते हैं। मृत्यु भोज देते हैं। अब ब्राह्मण को बुलाकर श्राद्ध भी कराते हैं। ( बियार जनजाति छत्तीसगढ़ Biyar janjati chhattisgarh biyar tribe chhattisgarh )

इनमें परम्परागत जाति पंचायत पाई जाती है। जाति पंचायत का प्रमुख ” मुखिया ” कहलाता है। जाति पंचायत में लगन भरना, विवाह, “छुट्टा”, अनैतिक संबंध के विवादों का निपटारा किया जाता है।

बियार जनजाति के देवी देवता 

इनके प्रमुख देवी-देवता महादेव, धरती माता, सिमाड़ा, दुल्हा देव, शीतला माता, ज्वालामुखी, भैंसासुर आदि हैं। इनके अतिरिक्त हिंदू देवी-देवताओं की भी पूजा करते हैं। इनके प्रमुख त्योहार दशहरा, दिवाली, नवरात्रि, संक्रान्ति, होली आदि हैं। भूत-प्रेत, जादू-टोना पर विश्वास करते हैं ( बियार जनजाति छत्तीसगढ़ Biyar janjati chhattisgarh biyar tribe chhattisgarh ) ।

इस जाति के लोग विवाह पर विवाह नाच, होली पर रहस नाचते हैं। इनके लोकगीत में विवाह गीत, फाग, भजन, आदि प्रमुख है। 2011 की जनगणना अनुसार बियार जनजाति में साक्षरता 60.1 प्रतिशत थी। पुरुषों में साक्षरता 73.7 प्रतिशत व स्त्रियों में 46.7 प्रतिशत थी।

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source : Internet

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Rajveer Singh
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