भतरा जनजाति छत्तीसगढ़ Bhatra Janjati Chhattisgarh bhatra tribe chhattisgarh

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नमस्ते विद्यार्थीओ आज हम पढ़ेंगे भतरा जनजाति छत्तीसगढ़ Bhatra Janjati Chhattisgarh bhatra tribe chhattisgarh के बारे में जो की छत्तीसगढ़ के सभी सरकारी परीक्षाओ में अक्सर पूछ लिया जाता है , लेकिन यह खासकर के CGPSC PRE और CGPSC Mains में आएगा , तो आप इसे बिलकुल ध्यान से पढियेगा और हो सके तो इसका नोट्स भी बना लीजियेगा । 

भतरा जनजाति छत्तीसगढ़ Bhatra Janjati Chhattisgarh Bhatra Tribe Chhattisgarh

भतरा जनजाति की उत्पत्ति 

भतरा जनजाति मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ के बस्तर, कोंडागांव, दंतेवाड़ा, सुकमा जिले में पाई जाती है। 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में इनकी कुल जनसंख्या 213900 थी। इनमें 105283 पुरुष एवं 108617 स्त्रियाँ है। उड़ीसा राज्य में इनकी अधिकांश जनसंख्या पाई जाती हैं। महाराष्ट्र में भी इनकी अल्प जनसंख्या निवासरत है। ( भतरा जनजाति छत्तीसगढ़ Bhatra Janjati Chhattisgarh bhatra tribe chhattisgarh )

प्रचलित किवदंती अनुसार भगवान राम के वनवास काल जब भरत उनके प्रतिनिधि के रूप में राज संचालित रहे थे, राम की सेवा के लिए भरत ने इन्हें भेजा था। भतरा जनजाति के उत्पत्ति के संबंध में ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिलता, किन्तु बस्तर काकतीय वंशीय नरेशों के इतिहास अनुसार इनका आगमन बस्तर में संवत 1465 के पश्चात् माना गया है।

इन लोगों के अनुसार इनके पूर्वज बस्तर के राजा के पास सेवक के रूप में कार्य करते थे। विश्वास पात्र होने के कारण बस्तर के राजा के पहरेदारी एवं घरेलू काम काज इन्हें सौंपा गया था। इन्हें राजमहल में भतरी भी कहा जाता था, जो कालांतर में भतरा कहलाये। ( भतरा जनजाति छत्तीसगढ़ Bhatra Janjati Chhattisgarh bhatra tribe chhattisgarh )

भतरा जनजाति के रहन-सहन 

भतरा जनजाति के गाँव कई पारों में बंटे होते हैं। गाँव में अन्य जनजाति के लोग भी निवास करते हैं। इनके घर मिट्टी के बने होते हैं, जिसका निर्माण ये स्वयं ही करते हैं। छत देशी खपरैल की होती है। मकान में चार-पाँच कमरे होते हैं। मकान का सामने बैठने के लिए चबुतरा होता है। घर की पुताई सफेद मिट्टी से की जाती हैं। कुछ दूरी पर जानवरों के लिये “कोठा” होता है। फर्श मिट्टी का होता है, जिसे सुबह गोवर से लोपा जाता है।

घरेलू वस्तुओं में चारपाई, चक्की, मूसल, ओढ़ने-बिछाने के कपड़े, भोजन बनाने व खाने के बर्तन (एल्युमिनियम, कांसा, लोहा, मिट्टी व स्टील), कृषि उपकरणों में कुल्हाड़ी, हल, बैलगाड़ी, खेती करने के छोटे-मोटे औजार मछली पकड़ने का जाल आदि पाये जाते हैं। ( भतरा जनजाति छत्तीसगढ़ Bhatra Janjati Chhattisgarh bhatra tribe chhattisgarh )

भतरा स्त्री व पुरुष सुबह उठकर नीम, बबूल आदि के वृक्षों की टहनियों से दातून कर स्नान करते हैं। महिलायें मिट्टी या रीठे के छिलकों से सिर धोती है। महिलाएँ सिर में तेल लगाकर बालों को अंदर की तरफ करके जूड़ा बाँधती हैं। ने हाथ, पैर बसर में आर की तरफ करके महिलाएँ अपने हाथ, व शरीर में विभिन्न आकृतियों को गुदवाती हैं।

वस्त्र-विन्यास पुरुष कमर के नीचे धोती (गोंडी) तथा बंडी पहनते हैं। स्त्रियाँ आजकल साड़ी ब्लाउज पहनती हैं। इनकी मुख्य भोजन चावल, कोदो का “भात”, प्रेज है। उसके साथ उड़द, मूंग, कुलथी की दाल, मौसमी सब्जी खाते हैं। मांसाहार में मछली, वकरां, मुर्गा आदि खाते हैं। पुरुष तंबाकू तथा बीड़ी का सेवन करते हैं। ( भतरा जनजाति छत्तीसगढ़ Bhatra Janjati Chhattisgarh bhatra tribe chhattisgarh )

भतरा जनजाति का व्यवसाय 

भतरा जनजाति का प्रमुख आर्थिक आधार कृषि, जंगली उपज संग्रह, जंगल से लकड़ी काटना, कृषि मजदूरी आदि है। कृषि में कोदो, धान, अरहर, मूंग, उड़द आदि की प्रमुख खेती होती है। सिंचाई के साधनों के अभाव में पैदावार पर्याप्त नहीं होती। जंगली उपज में महुआ, शहद, कोसा, गोंद, तेंदूपता, लाख आदि संग्रह करके बाजार में बेचते हैं। वर्षात में इकट्ठे हुए नाले के पानी से खाने हेतु मछली पकड़ते हैं।

भतरा जनजाति में उपजातियाँ पीत भतरा, अमनित भतरा, शान भतरा और जादा भतरा कहलाती है। उपजातियों में कई गोत्र होते हैं, इनके प्रमुख गोत्र कश्यप, मोहरे, बघेल, नाग, कोर्राम, पुजारी आदि है। जीव-जन्तु, पशु-पक्षी आधारित इन गोत्रों के टोटम भी पाये जाते हैं। ( भतरा जनजाति छत्तीसगढ़ Bhatra Janjati Chhattisgarh bhatra tribe chhattisgarh )

भतरा जनजाति के परम्परा 

गर्भवती महिलाएँ प्रसव पूर्व तक समस्त आर्थिक व पारिवारिक कार्य करती हैं। गर्भावस्था में कोई विशेष संस्कार नहीं होता। प्रसव पति के घर पर ही होता है। गाँवों की वृद्ध महिलाओं व दाई की देखरेख में प्रसव कराया जाता है। घर में एक फुट गड्ढा बच्चे का नाल उसमें गाढ़ा जाता है तथा प्रसूता तीन दिन तक जंगली जड़ी-बूटी व गुड़ का काढ़ा पिलाया जाता है।

छठवें दिन छट्ठी मनाई जाती हैं। बच्चे व प्रसूता को स्नान करा सूर्य एवं कुल देवी का प्रणाम कराया जाता है। रिश्तेदारों को भोजन कराया जाता है, शराब भी पिलाते हैं। ( भतरा जनजाति छत्तीसगढ़ Bhatra Janjati Chhattisgarh bhatra tribe chhattisgarh )

विवाह की उम्र लड़कियों में 17 से 18 वर्ष तथा लड़ाकों में 18 से 20 वर्ष पाई जाती है। विवाह का प्रस्ताव लड़के वाले लड़की वालों के पास ले जाते हैं। विवाह में वर का पिता वधू के पिता को धान, दाल, नारियल, हल्दी, सुपारी, दुल्हन के लिये साड़ी, ब्लाउज, मिठाई आदि वस्तुएँ लेकर जाता है। तत्पश्चात् विवाह की रस्म पूरी की जाती हैं।

मृत्यु होने पर मृत शरीर को दफनाया जाता है, किन्तु कुछ परिवारों में जो संपन्न होते हैं, थे अग्नि संस्कार करते हैं। तीसरे दिन घर की साफ-सफाई तथा “नहानी” की जाती है। 9 दिन बाद बढ़ा नहानी किया जाता है, जिसमें सभी रिश्तेदारों को मृत्यु भोज दिया जाता है। ( भतरा जनजाति छत्तीसगढ़ Bhatra Janjati Chhattisgarh bhatra tribe chhattisgarh )

भतरा जनजाति के देवी-देवता 

भतरा जनजाति के प्रमुख देवी-देवता ठाकुर देव, बूढ़ा बाबा, दंतेश्वरी देवी, बूढ़ीमाता, तेलंगीन माता, परदेशीन माता आदि हैं। इसके अतिरिक्त राम, हनुमान, भगवान शिव, दुर्गा माता आदि की भी पूजा की जाती है। इनके प्रमुख त्योहारों में हरियाली, नवाखाई, नागपंचमी, दशहरा, होली, दिवाली आदि हैं। ये भूत-प्रेत, जादू-टोने पर भी विश्वास करते हैं। जादू मंत्र के जानकार व्यक्ति “सिरहा” कहलाता है।

भतरा जनजाति में पुरुष ठंडारी नृत्य करते हैं। लोकगीतों में चैव परब, कोटनी, लाठिया भाजी, झालियाना, भतरा नाट इनका प्रसिद्ध लोक नाट्य है। इनमें लोक कथायें व लोक कलायें भी काफी प्रचलित हैं। ( भतरा जनजाति छत्तीसगढ़ Bhatra Janjati Chhattisgarh bhatra tribe chhattisgarh )

जनगणना 2011 के अनुसार इस जनजाति में साक्षरता प्रतिशत 48.7 प्रतिशत था। पुरुषों में साक्षरता 60.2 प्रतिशत व महिलाओं की साक्षरता 37.6 प्रतिशत था।

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source : Internet

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