1962 भारत चीन युद्ध का इतिहास | History of India china war in 1962

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1962 भारत चीन युद्ध का इतिहास History of India china war in 1962
1962 भारत चीन युद्ध का इतिहास History of India china war in 1962

1962 भारत चीन युद्ध का इतिहास | History of India china war in 1962

नमस्ते विद्यार्थियों आज मैं आपको बताऊंगा 1962 भारत चीन युद्ध का इतिहास | History of India china war in 1962 जो कि बहुत सरे करने की वजह से हुआ था , और इस वक्त हमारे देश के प्रधानमंत्री थे जवाहरलाल नेहरू । यह टॉपिक भारतीय इतिहास के साथ साथ , इंटरव्यू के लिए महत्वपूर्ण है , क्योकि जब भी यह प्रश्न पूछा जायेगा , हमारे और चीन की रिस्तो को लेकर तो इसके बारे में आपको जानकारी अवश्य होना चाहिए ।

तो चलिए शुरुवात से और एकदम सरल तरीके से आपको समझाने की कोशिस करूँगा की 1962 में  भारत चीन युद्ध क्यों हुआ था ?

आपके ध्यान रखने योग्य बाते

देखिये सबसे पहले जब भी हम सुनते है की हमारा किसी देश के साथ युद्ध हुआ था , तो हमारे दिमाग में सबसे पहले नाम आता है हमारे दुश्मन या कहे पडोसी देश पाकिस्तान की , जिससे 3 बार युद्ध हुआ और हम जित गए , यह सुनकर हमें बहुत खुशी होती है , लेकिन जैसे हमारे दिमागी में यह आता है की हमारा युद्ध 1962 में एक और देश चीन के साथ भी हुआ था और हम उसमे हार भी गए थे , तो यह सुनकर हमें बहुत बुरा लगता है ,

लेकिन विद्यार्थीओ आपको यह बात शायद कोई नहीं बातयेगा की की 1962 के बाद हमारा युद्ध चीन से एक बार और हुआ था 1967 से उसमे हम जीत गए थे ।( 1962 भारत चीन युद्ध का इतिहास | History of India china war in 1962 )

विद्यार्थीओ एक चीज और भी आपको पता होना चाहिए की India-China War को विदेशो में  India-Sino war के नाम से जाना जाता है , क्योकि चीन का एक अन्य नाम Sino भी है ।

आजादी के वक्त भारत और चीन 

विद्यार्थीओ जैसा की हम जानते है की हमारा देश 1947 को आजाद होता है , और उस वक्त हमर देश के प्रधानमंत्री बनाये जाते है , पंडित जवाहर लाल नेहरू , वही दूसरी ओर चीन में 1949 में ग्रह युद्ध चल रहा होता है इस ग्रह युद्ध में साम्यवादीओ(Communist) और राष्ट्रवादीओ(Nationalist) के बीच युद्ध होता है जिसमें साम्यवादी जाते हैं और राष्ट्रवादी भाग जाते हैं , और इस तरह पुरे चीन पर कब्ज़ा कर लेते है और देश का गठन होता है “पीपल रिपब्लिक ऑफ़ चीन” । जो राष्ट्रवादी भाग चुके होते है , वे  आज के ताइवान जाकर अपना एक अलग देश “ताइवान रिपब्लिक ऑफ चाइना” बनाते हैं । इस देश को कई लोग आज भी कई देश आजाद देश मानते हैं ।

विद्यार्थीओ हमें यहाँ यह भी पता होना चाहिए की भारत एक ऐसा देश था की अगर चीन और भारत के संबंधों के बात की जाए तो भारत एक ऐसा देश था जिसने सबसे पहले चाइना को यूनाइटेड नेशन में ले जाने की बात की थी । 1960 में भारत को जब वीटो दिया जा रहा था तब जवाहरलाल नेहरू ने इसे लेने से मना कर दिया और यह वीटो पावर चीन को दिलवा दिया, जो आजतक भारत के इतिहास की सबसे बड़ी गलती मानी जाती है ।( 1962 भारत चीन युद्ध का इतिहास | History of India china war in 1962 )

Politicians

Mao Zedong -> Chairman (हमारे देश के राष्ट्रपति जैसा )
Zhou Enlai -> Premier (हमारे देश के प्रधानमंत्री जैसे )
Jawahar Lal Nehru -> Prime minister
Sarwapalli Radhakrishna-> President

तिब्बत पर चीन का आक्रमण 

1950 में जैसे ही चीन बना चीन की सरकार एक डैम से स्थिर बन गयी वैसे ही चीन ने तिब्बत पर आक्रमण कर दिया, यह कहते हुए कि तिब्बत पर हमारा ऐतिहासिक अधिकार है , और हम इस लेकर रहेंगे ।( 1962 भारत चीन युद्ध का इतिहास | History of India china war in 1962 )

उस वक्त तिब्बत में एक Semi-Autonomous गवर्नमेंट चल रही थी मतलब उनके पास  आजादी के बाद कुछ अधिकार थे । उस वक्त तिब्बत के नेता थे दलाई लामा, लेकिन यहाँ सबसे बड़ी बात तो यह है की जब चीन ने तिब्बत पर हमला किया तो जवाहरलाल नेहरू ने इसका बिलकुल भी विरोध नहीं किया।

आगे चलके 1954 में चीन ने बड़ी ही चालाकी से भारत के साथ एक समझौता किया जो था , “पंचशील एकॉर्ड” जिसमे यहाँ कहा गया की , भारत और चीन इस मामले में शांति से रहेंगे , दुनिया के किसी भी फोरम में या किसी भी संस्था  में इस बात ( तिब्बत ) का जिक्र नहीं करेंगे।

उस वक्त अमेरिका भी तिब्बत के पक्ष में था और कह रहा था की भारत को तिब्बत का साथ देना चाहिए , लेकिन फिर नेहरू ने उसकी बात नहीं मानी । जवाहर लाल नेहरू ने संसद में यहाँ तक कह दिया था , की तिब्बत पर तो चीन का ऐतिहासिक अधिकार है , हमें उससे कोई मतलब नहीं है , जो की बहुत ही दुःख की बात है , आगे चल के इस बात को लेकर नेहरू की काफी निंदा हुई ।

सीमा विवाद 

देखिये शुरुवात से ही , अंग्रेजों और चीनी साम्राज्य के बीच पहले से ही सीमा विवाद चला आ रहा था , अंग्रेजी हुकूमत और चीनियों ने आपस में ही छोटे-छोटे सीमाएं बनाई थी, जो कि आगे चलकर बाद में बाउंड्री बना दिया गया।

अरुणाचल प्रदेश के पास हिमालय में मैकमोहन रेखा खींची गई, जो भारत को चीन से अलग करता था ,  तिब्बत और ब्रिटिश इंडिया के बीच बंटवारा तो पहले से ही हो गया था , जिसे चाइना साउथ तिब्बत कहा जाता है ।( 1962 भारत चीन युद्ध का इतिहास | History of India china war in 1962 )

यहीं पर अगर हम बात करें तो अरुणाचल प्रदेश में Twang नामक एक जगह है , यह चीन भारत , भूटान के बीचो-बीच पड़ती है, इसी जगह पर 2020 में एक बार चीन ने हमला किया था , बुद्धिस्ट मॉनेस्ट्री भी यही हैं और NEFA भी यही है।

अक्साई चीन

अक्साई चीन लद्दाख के दाएं, ऊपर दिशा में है , यह  एक प्लेट्यू है जो की  काफी ऊंचाई पर स्थित है , यहां कुछ जनजाति भी रहते हैं एकदम नाम मात्र की आबादी है । इसलिए कभी किसी ने इसके लिए लड़ाई नहीं किया यह लद्दाख और तिब्बत के बीच बफर की तरह कार्य करता है।

लेकिन 1956 में चीन ने Xinjiang से तिब्बत में अक्साई चीन से होते हुए रोड बनाना चालू किया , लेकिन सोचने वाली बात यह है की इसके बारे में 1959 में भारत को पता चला । यह बात आपको यहां एक चीज याद रखना है कि अक्साई चीन भारत का हिस्सा था ।( 1962 भारत चीन युद्ध का इतिहास | History of India china war in 1962 )

जब ये सब कार्य चीन की सरकार कर रही थी तो  1959 में तिब्बत के लोगों ने इसका विरोध किया , तो चीन की आर्मी ने सब की निर्मम हत्या कर दी , लोगो को जिन्दा जला दिया , इसी कारणवश वहां के दलाई लामा को भागकर भारत आना पड़ा , एक refugi की तरह ।

उनके साथ और भी बहुत सारे लोग तिब्बत से भारत भाग आये, अपने कभी कभी देखा होगा की आपके आस पास जब दशहरा , दिवाली , के वक्त मेले में कुछ लोग होते है जो नेपाली , चीनी जैसे दीखते है और उनकी दुकान होती है , उनके पीछे पोस्टर लगा होता है , ThankYouIndia असल में वो तिब्बत के लोग है ,आज भी तिब्बत के बाहर से भारत में रहकर तिब्बत की सरकार चलती है ।

भारत के साथ चीन का दरार

यह सभी तिब्बत वाली घटनाये 1959 में हुए इसे देखते हुए चीन के Zhou Enlai 1960 में भारत आये और सुझाव दिया , की अक्साई चीन का होगा और , नेफा इंडिया का होगा , और हमें अपनी सेना को मैकमोहन लाइन से 20 किलोमीटर पीछे रखना होगा , इस प्रस्ताव को जवाहर लाल नेहरू ने मना कर दिया ।

1959-1961 के बीच भारीतय सैनिक जब अपने ही इंडियन पोस्ट पर पेट्रोलिंग करते थे , तो चीन के  सैनिक छोटे मोटे हमले करते थे , जिससे भारतीय सैनिकों की मौत होती थी।( 1962 भारत चीन युद्ध का इतिहास | History of India china war in 1962 )

The Forward Policy-1960

द फॉरवर्ड पॉलिसी जो की 1960 में लाया गया , इसे  नेहरू पालिसी भी कहा जाता है , इसमें जवाहर लाल नेहरू ने निर्णय किया कि इंडियन आर्मी को तुरंत अक्साई चीन , फ्रोंटियर एरियाज , मैकमोहन लाइन सभी को कब्ज़ा कर लेना चाहिए ।

इन सभी चीजों को देखते हुए चीन बौखला गया , और फिर चीन की सरकार( माओ जे़डोंग) का कहना था कि भारत तिब्बत को कब्जा करना चाहता है , और हम मजबूर है , इसलिए हम भारत के साथ युद्ध करेंगे।

1962 भारत चीन युद्ध

  • अब युद्ध शुरू हो चुका था, और काफी दिनों तक चला , यह युद्ध 20 अक्टूबर से 31 नवंबर 1962 तक चला यानी कुल 1 महीने तक ।
  • चीन की सेना 4 दिन के अंदर नेफा,Tawang के 7 किलोमीटर तक अंदर आ गया थे ।
  • तीन हफ्तों के लड़ाई के बाद युद्ध को टालने के लिए बातचीत चालू हो गया।( 1962 भारत चीन युद्ध का इतिहास | History of India china war in 1962 )
  • ZhouEnlai ने कहा कि अभी भी हम 20 किलोमीटर तक पीछे हट जाएंगे लेकिन जहां तक 60 किलोमीटर हम घुस चुके हैं वहां से, इस बात पर नेहरू नहीं माने फिर 14 नवंबर को लड़ाई  शुरू हुई, अक्साई चीन और NEFA पर भीषण युद्ध हुआ ।
  • वही पास में एक जगह थी , लद्दाख का RezangLa जिसे चीन कब्जा करना चाहता था, इस जगह को कुमाऊं रेजीमेंट के 123 सिपाही , जिसके नेतृत्वकर्ता थे मेजर शैतान सिंह उन सभी लोग इस जगह के रक्षा के लिए तैनात थे ।
  • यहाँ चीन के सैनिको के साथ भयानक युद्ध हुआ और इसमें 1000 से अधिक चिनिओ को 123 भारतीय सिपाहीओं ने मार डाला, और आखिरकार उन चिनिओ को उस 17000 फिट की ऊंचाई पर जाने से रोक ही दिया , लेकिन इसमें हमारे 114 सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए ।

भारतीय सैनिको में हताहत, राजनितिक दबाव

इस युद्ध में हमारे भारतीय सैफई जिनकी मौत हुए वे थे 1386 , 1780 सैनिक कहीं पहाड़ों के बीच खो गए, और 4000 सैनिकों को चीन ने बंदी बना लिया फिर बाद में समझौता हुआ और उन्हें वापस कर दिया ।

इस युद्ध की हार का सबसे बड़ा कारण था राजनितिक दबाव , गलत निर्णय , और भारतीय सेना ने  इसमें एयरफोर्स , नेवी का इस्तेमाल नहीं किया,  यह सोच कर कि अगर हम इस्तेमाल करेंगे तो चीन भी शहरो  पर बमबारी कर देगा तो हमारे लोग भी मरेंगे, लेकिन यह सोच गलत थी हमने 1965  के युद्ध में इनका  इस्तेमाल किया था तभी हम जीते थे ।

हमारे सैनिको ने ऊंचे स्थानों पर पहली बार लड़ाई की थी  जिसमें उनका अनुभव  नहीं था , सेना के पास गर्म कपड़े नहीं थे , बंदूके पूर्ण हो चुकी थी , सप्लाई रूट नहीं था , सड़के भी नहीं बनी थी, ताकि उनसे सामान पहुंचाया जा सके ।( 1962 भारत चीन युद्ध का इतिहास | History of India china war in 1962 )

अंततः 20 नवंबर को चीन ने सीजफायर कर दिया , और कहा हम लोग मैकमोहन लाइन और नेफा से 20km पीछे हट रहे है , लेकिन अक्साई चीन नहीं छोड़ेंगे , जिसे जवाहर लाल नेहरू ने भी मान  लिया , लेकिन सेना ऐसा नहीं चाहती थी , सेना का कहना था की हम अक्साई चीन को भी छुड़वा लेंगे , लेकिन नेहरू के सामने वे क्या कर सकते थे ।

चीन ने Ceasefire क्यों किया

अगर चीन चाहता तो और युद्ध को आगे लड़ सकता था , लेकिन चीन ने युद्ध को रोकना क्यों चाहा , इसके कुछ निम्न कारण है :-

  1. पहले चीन अपना पावर दिखाना चाहता था , लेकिन जब उसे लगा  टेरिटोरियल बाउंड्री के लिए भारतीय अपने सेना बढ़ा रहे है तो उसे घबराहट हों लगी .
  2. इसका मैं मकसद था नेहरू के फॉरवर्ड पालिसी को रोकना , जिसके तहत भारतीय सैनिक अंदर घुसे ही जा रहे थे ।
  3. USA ,UK,USSR  ने भी इंडिया का सपोर्ट किया था ।
  4. अमेरिका अपने प्लेस भेजने वाला था इससे चीन डर गया।

इस युद्ध का भारत पर असर

  1. इससे यहाँ समझ आ गया की चाहे आपकी आर्मी कितनी ही मजबूत क्यों न हो , अगर राजनितिक समर्थन न मिले तो कोई भी युद्ध जितना मुश्किल है ।
  2. इससे यह शाबित हुआ की नेहरू कितने कमजोर नेता हैं, जवाहर लाल नेहरू की प्रशिधि दुनिया में कम हो गयी।
  3. दुनिया ने भारत को छोड़कर चीन पर भरोसा किया ।
  4. भारत ने भी भविष्य के खतरों को देखते हुए अपने हथियारों की संख्या बढ़ाना चालू किया ताकि भविष्य में होने वाले युद्ध में जीता जा सके ।( 1962 भारत चीन युद्ध का इतिहास | History of India china war in 1962 )
  5. हेंडरसन ब्रुक और भगत ने अपने इस हार का रिपोर्ट दिया और बताया कि हमें चीन से सतर्क रहना चाहिए क्योंकि अब पाकिस्तान और चीन दोनों मिलकर हम पर हमला कर सकते हैं , क्योकि  ट्रांस काराकोरम को पाकिस्तान ने चीन को सौंप दिया था।
  6. एक चीज और समझ में आयी की दुश्मन हमेश दुश्मन ही होता है , इसलिए हमें चीन और पाकिस्तान जैसे देशो से बचकर रहना चाइये ।

मेरे प्यारे विद्यार्थियों आप हमें कमेंट में बताइएगा कि यह लेख जो आज हमने लिखा वह आपको कैसा लगा इसमें से प्रश्न पूछे जाते हैं पीएससी में यूपीएससी में सब जगह या इंटरव्यू में यह पूछा जाता है इसलिए हमने आज का यह लेख लिखा और यह लेख लिखते हुए हो सकता है कि मुझसे कुछ गलती हो गई हो तो आप मुझे कमेंट में बताइएगा हम उसे सुधारने का प्रयास जरूर करेंगे धन्यवाद।

अंत में मैं राजवीर सिंह , हमारे पोस्ट को इतने देर तक पढ़ने के लिए , हमारे सोशल मिडिया अकौंट्स में जुड़ने के लिए , हमारे ब्लॉग को दायी ओर की नीली घंटी दबा के हमें सब्सक्राइब करने के लिए , हमारे साथ इतने देर तक जुड़े रहने के लिए आपका हाथ जोड़ के धन्यवाद् करता हु .

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Rajveer Singh
Rajveer Singh

Hello my subscribers my name is Rajveer Singh and I am 30year old and yes I am a student, and I have completed the Bachlore in arts, as well as Masters in arts and yes I am a currently a Internet blogger and a techminded boy and preparing for PSC in chhattisgarh ,India. I am the man who want to spread the knowledge of whole chhattisgarh to all the Chhattisgarh people.

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