आंध जनजाति छत्तीसगढ़ Andh Janjati Chhattisgarh andh tribe chhattisgarh

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नमस्ते विद्यार्थीओ आज हम पढ़ेंगे आंध जनजाति छत्तीसगढ़ Andh Janjati Chhattisgarh andh tribe chhattisgarh के बारे में जो की छत्तीसगढ़ के सभी सरकारी परीक्षाओ में अक्सर पूछ लिया जाता है , लेकिन यह खासकर के CGPSC PRE और CGPSC Mains में आएगा , तो आप इसे बिलकुल ध्यान से पढियेगा और हो सके तो इसका नोट्स भी बना लीजियेगा ।

आंध जनजाति छत्तीसगढ़ Andh Janjati Chhattisgarh Andh Tribe Chhattisgarh

आंध जनजाति का परिचय 

आंध जनजाति मुख्यतः महाराष्ट्र की मूल जनजाति है। महाराष्ट्र में इनकी जनसंख्या 2011 में 474110 थी। इनका प्रमुख निवास क्षेत्र महाराष्ट्र के यवतमाल, बुलढाना, अकोला, नांदेद, परभनी आदि जिले हैं।

छत्तीसगढ़ में इनकी जनसंख्या 2011 में 21 दर्शाई गई है। इनमें पुरुष 12 एवं स्त्रियों 9 थीं। संभवतः महाराष्ट्र से इस जनजाति के कुछ परिवार छत्तीसगढ़ में स्थित केंन्द्र सरकार के कार्यालय अथवा उपक्रमों के नौकरी में पदस्थ होंगे। ( आंध जनजाति छत्तीसगढ़ Andh Janjati Chhattisgarh andh tribe chhattisgarh )

इनके उत्पत्ति के संबंध में कोई ऐतिहासिक अभिलेख नहीं है। शेरिंग ने इन्हें आंद गोंड के नाम से वर्णित किया गया है। एस.एन. हसन (1923) ने आंध को गॉड जनजाति की एक शाखा बताया है। किट्स (1881) के अनुसार मराठा आक्रमण के समय आंध्र प्रदेश (हैदराबाद) से चलकर पेनगंगा नदी को पार कर महाराष्ट्र के बरार क्षेत्र में आकर बस गये थे। आंध्र प्रदेश से आने के कारण स्थानीय लोगों ने इन्हें “आंध” नाम दिया।

छत्तीसगढ़ में इनके कुछ परिवार ही निवासरत होना जनगणना में दर्शाया गया है। अतः नृतत्वशास्त्रीय विवरण हेतु इनके मूल निवास क्षेत्र के रहन-सहन, रीति-रिवाज, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक जीवन का विवरण दिया जा रहा है। ( आंध जनजाति छत्तीसगढ़ Andh Janjati Chhattisgarh andh tribe chhattisgarh )

आंध जनजाति के रहन-सहन 

आंध जनजाति गाँव के एक छोर पर गैर जनजातियों के मुहल्ले से अलग जनजाति में घर बनाते हैं। इनके घर मिट्टी के बने होते हैं। घर में हटकर अपना मुहल्ला में घर सामान्यतः दो कमरे होते हैं, जिसमें एक रसोई कमरा व दूसरा मुख्य निवास का कमरा होता है। घर के सामने बरांडा तथा आंगन होता है। छप्पर घासफूस या देशी खपरैल की होती है। मुख्य कमरे में अनाज रखने की कोठी, घरेलू वस्तुएँ ओढ़ने बिछाने के कपड़े, वाद्य यंत्र आदि होते हैं।

इनके वस्त्र विन्यास में पुरुष “धोतर” (धोती), बंडी या कुरता, सिर में “पगोटे” (पगड़ी) या टोपी पहनते हैं। महिलाएँ लुगड़ा और चोली पहनती हैं। विवाहित स्त्रियाँ मंगलसूत्र और “जोड़वे” (पैर की ऊँगली में बिछिया) पहनती हैं, जिसे विवाहिता होने का प्रतीक भी माना है। ( आंध जनजाति छत्तीसगढ़ Andh Janjati Chhattisgarh andh tribe chhattisgarh )

अन्य आभूषण में नाक पर नथ या लौंग, कान में कर्णफूल, कलाईयों में काँच की चूड़ियाँ तथा चाँदी या गिलट के कड़े, ऊंगलियों में अंगूठी पहनती हैं। मस्तक, ठुड़ी, कपोल पर गुदना गोदवाती है। इनका विश्वास है कि मस्तक पर गुदना गुदवाये बिना स्वर्ग में स्थान नहीं मिलता।

इनका मुख्य भोजन जुआर की रोटी, राब, उड़द, अरहर, मूंग, बरबटी की दाल, मौसमी सब्जी आदि है। कभी-कभी गेहूँ की रोटी व चावल का भात भी खाते हैं। मांसाहार में मछली, बकरा, मुर्गा, सुअर, नीलगाय, खरगोश आदि का मांस खाते हैं। महुआ से निर्मित शराब पीते हैं, पुरुष धूम्रपान करते हैं। ( आंध जनजाति छत्तीसगढ़ Andh Janjati Chhattisgarh andh tribe chhattisgarh )

आंध जनजाति के व्यवसाय 

इनका परम्परागत व्यवसाय कृषि, शिकार, खाद्य संकलन, मछली पकड़ना आदि था। वर्तमान में कृषि, मजदूरी और नौकरी करते हैं। इनके कृषि की मुख्य उपज ज्वार, बाजरा, मक्का, मूँगफली, कपास, मूंग, अरहर, उड़द आदि हैं।

पहले हिरण, खरगोश, सुअर का शिकार करते थे, अब शिकार पर शासकीय प्रतिबंध है। जंगली कंदमूल, फल भाजी आदि एकत्र कर खाते हैं। कुछ लोग मजदूरी भी (कृषि के कार्य समाप्त होने पर) करते हैं। शिक्षण प्राप्त कर कुछ लोग शासकीय सेवा में भी आये हैं। ( आंध जनजाति छत्तीसगढ़ Andh Janjati Chhattisgarh andh tribe chhattisgarh )

आंध जनजाति के परम्पराए 

आंध पितृवंशी, पितृसत्तात्मक, पितृ निवास स्थानीय जनजाति है। इनमें दो उप समूह क्रमशः वरताती (शुद्ध) और खालताती (अशुद्ध) पाये जाते हैं। इनमें आपस में खान-पान संबंध हैं, किन्तु वैवाहिक संबंध नहीं है। ये बहिर्विवाही “अदनाम” (गोत्र) में बंटे हुए हैं।

इनके प्रमुख अदनाम बनसाले, डुकरे, देवकर, फाफरे, गोहाड़, खैरकर, खाड़के, मागरे, मटकारी, नातकर, नागमोती, पारधी, सुरवारकर, तड़चे, थोटे, उमारे, वाघमारे, ओघम, देशमुखी, धानवे, भैभारे, गायकवाड़, भेडकल आदि हैं। ( आंध जनजाति छत्तीसगढ़ Andh Janjati Chhattisgarh andh tribe chhattisgarh )

प्रसव घर पर स्थानीय “दाया” (दाई) द्वारा कराया जाता है। जन्म का अशौच 12 दिन तक जारी रहता है। प्रसव के पांचवें पंचमी और सातवें दिन “नामतिवाइच” पै तहका है) को पीएम (कर्मदिन) बचपन के (नामकरण) संस्कार करते हैं। मुण्डन और “जवाल” प्रारंभिक वर्षों में ही पूरे कर लिये जाते हैं।

विवाह उम्र 16 से 20 लड़कों का तथा 12 से 16 लड़कियों के लिए मानी गई है। विवाह प्रस्ताव वर पक्ष की ओर से प्रारंभ होता है। वर के पिता कन्या के पिता को वधू मूल्य के रूप में नगद रुपया, अनाज, दाल, हल्दी आदि देता है। विवाह संस्कार इस जनजाति के बुजुर्गों की देख-रेख में वधू के घर पर सम्पन्न होता है। वर बारात लेकर वधू के घर आता है। ( आंध जनजाति छत्तीसगढ़ Andh Janjati Chhattisgarh andh tribe chhattisgarh )

इसके अतिरिक्त विनियम विवाह, सेवा विवाह भी पाया जाता है। सहपलायन और घुसपैठ प्रथा भी है, किन्तु इसमें जाति पंचायत के निर्णय उपरान्त कुछ जुर्माना अदा करने पर ही सामाजिक मान्यता प्राप्त होती है। विधवा, विधुर, त्यगता पुनर्विवाह कर सकते हैं। विवाह हेतु मामा की लड़की या पिता के बहन की पुत्री को प्राथमिकता देते हैं।

मृत्यु होने पर मृतक को दफनाते हैं, कुछ लोगों का दाह संस्कार किया जाता हैं। मृत्यु का अशीच दस दिन तक जारी रहता है। मृत्यु संस्कार की रस्म तीसरे, दसवें और तेरहवें दिन सम्पन्न की जाती है। अस्थियों को नदी में प्रवाहित करते हैं। मृत्यु भोज दिया जाता है। “पुण्य तिथि” (मृत्यु वार्षिकी मनाई जाती है। ( आंध जनजाति छत्तीसगढ़ Andh Janjati Chhattisgarh andh tribe chhattisgarh )

इनकी अपनी परम्परागत जाति पंचायत होती है। इसका प्रमुख “मोहतरियाँ” कहलाता है। “फोलटिया” और “दुकरियां” दो अन्य सहयोगी पदाधिकारी होते हैं। इस पंचायत में वैवाहिक विवाद, वधू मूल्य निर्धारण, तलाक, सम्पत्ति का विभाजन, अनैतिक संबंध, अन्य जाति के व्यक्ति से विवाह विवाद आदि पर निर्णय करते हैं। अपराधी व्यक्ति से नगद जुर्माना या सामाजिक भोज व जुर्माना दोनों लेते हैं।

आंध जनजाति के देवी-देवता और त्यौहार 

इनके प्रमुख देवी-देवता मारूती, महादेव, मारी आई, माता, भीमसेन, वाघमाई, खाण्डोबा, कान्होबा, मसाई, मुन्जा, आदि हैं देवी-देवता की पूजा में मुर्गा, बकरा की बलि भी देते हैं। ( आंध जनजाति छत्तीसगढ़ Andh Janjati Chhattisgarh andh tribe chhattisgarh )

इनके प्रमुख त्योहार अखाड़ी, गुड़ी पड़वा, नागपंचमी, पोला, दशहरा, दिवाली, होली, महाशिवरात्रि आदि हैं। भूत-प्रेत, जादू-टोना, मंत्र-तंत्र पर विश्वास करते हैं।

आंध जनजाति जीवन चक्र के विभिन्न संस्कारों जैसे जन्म, नामकरण, विवाह पर नृत्य गीत का आयोजन होता है। त्योहारों, उत्सवों पर भी नाचते-गाते हैं। ( आंध जनजाति छत्तीसगढ़ Andh Janjati Chhattisgarh andh tribe chhattisgarh )

2011 की जनगणना अनुसार छत्तीसगढ़ में इनकी साक्षरता 94.4 प्रतिशत दर्शित है। पुरुषों में साक्षरता 100.0 प्रतिशत व स्त्रियों में साक्षरता 83.3 प्रतिशत थी। जो इंगित करती है कि छत्तीसगढ़ में निवासरत आंघ परिवार शासकीय कर्मचारियों का परिवार हो सकते हैं।

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source : Internet

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Rajveer Singh
Rajveer Singh

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