जब विद्युतभार बदलते वेग से जाते हैं तब उनमें से विद्युत-चुंबकीय लहरें निर्मित होती हैं। बदलते वेग को त्वरण (Acceleration) कहते हैं।
वेग में बदलाव उसकी मात्रा या दिशा बदलने से आता है। उदाहरण स्वरूप विद्युतभार अगर गोल कक्षा में घूम रहा हो तो उसके वेग की दिशा सदैव बदलती रहती है और सीधी रेखा में नीचे गिरने वाली वस्तु का वेग बढ़ते जाने से वह त्वरणशील होती है।
ऐसी स्थिति में उत्पन्न विद्युत-चुंबकीय तरंगों का स्वरूप उनके तरंग दैर्ध्य पर निर्भर होता है। सामान्यतः 10-20 सेंटीमीटर से अधिक दैर्ध्य वाली तरंग रेडियो तरंग कहलाती है।
वायरलेस ट्रांसमीटरों में विद्युतभार आगे-पीछे घुमाकर (इसे ऑल्टर्नेटिंग करेट अथवा प्रत्यावर्ती विद्युतधारा कहते हैं) ऐसी लहरें निर्मित की जाती हैं। अंतरिक्ष में चुंबकीय बल द्वारा विद्युतभार में त्वरण होकर ऐसी लहरों का निर्माण होता है।