सन 2006 में खगोलशास्त्रियों ने किसी पिंड के ग्रह होने के मापदंड निश्चित किये। इनमें से एक के अनुसार एक पिंड को ग्रह कहलाने के लिये उसे सूर्य के चारों ओर की अपनी कक्षा को साफ कर देना चाहिये याने कि अपनी कक्षा में मौजूद सभी पिंड या तो अपने में समा लेना चाहिये या फिर गुरुत्वीय बल द्वारा उनकी कक्षाएं मोड़कर उन्हें दूर फेंक देना चाहिये। यह नियम प्लूटो में लागू नहीं होता।
इसके अलावा प्लूटो और उसका चंद्रमा एक दूसरे के चारों ओर चक्कर लगाते हैं पर उनका गुरुत्व-मध्य (centre of gravity) दोनों के बीच में प्लूटो के बाहर है। इसका मतलब यह कि प्लूटो अपने उपग्रह के हिसाब से बहुत बड़ा नहीं है (पृथ्वी तथा चंद्रमा का गुरुत्वमध्य पृथ्वी के अंदर ही है, जो पृथ्वी की चंद्रमा के मुकाबले महत्ता दिखाता है)।
इन कारणों से प्लूटो को ग्रह का दर्जा न देकर उसे लघु ग्रह कहा जाता है।