हम कोई तारा देखते हैं या दूरबीन से उसकी तस्वीर खींचते हैं, तो उससे आने वाली प्रकाश की किरणों द्वारा। जब ये किरणें पृथ्वी के आस-पास के वायुमंडल के बदलते घनत्व और तापमान वाले स्तरों से होकर गुजरती हैं तब उनकी दिशा में परिवर्तन होता है।
इस घनत्व और तापमान में सदैव परिवर्तन होता रहता है और इस कारण तारे के बिंब की दिशा में सूक्ष्म बदलाव आता रहता है और तारे टिमटिमाते नज़र आते हैं। तारे दूर होने के कारण और प्रकाश उनमें से ही निकलने के कारण यह प्रभाव अधिक रूप से दिखाई पड़ता है।
ग्रह पास होते हैं और वे हमें सूर्य के परावर्तित और प्रकीर्णित प्रकाश के कारण दिखाई पड़ते हैं। पास होने के कारण उन पर इसका असर नहीं पड़ता और वे टिमटिमाते दिखाई नहीं पड़ते।