हम अगर चंद्रमा पर गए तो पृथ्वी के ग्रहण के समय उसे चंद्रमा की छाया में आना पड़ेगा। परंतु चंद्रमा का आकार छोटा होने से उसकी छाया भी छोटी होती है और उसमें संपूर्ण पृथ्वी नहीं समा सकती।
पर जिस भू-भाग पर वह छाया पड़ेगी वह हिस्सा काला ज़रूर नजर आएगा। मतलब अमावस्या को हम पृथ्वी का आंशिक ग्रहण देख सकते हैं। और उसी समय ग्रहण लगे पृथ्वी के हिस्से से खग्रास सूर्यग्रहण दिखाई देगा।