विद्युत-चुंबकीय वर्णक्रम ( Electromagnetic Spectrum ) क्या होता है ? प्रकाश क्या है? अवरक्त किरणें क्या होती हैं?

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अगर हम सूर्यकिरणों के सामने एक प्रिज़्म रखें तो उसमें से बैंगनी से लेकर लाल रंग तक की किरणें बाहर निकलती हैं। असल में सूर्य का प्रकाश प्रिज्म से गुजरते वक्त विभिन्न रंगों की किरणों में विभाजित होता है। इन रंगों का फैलाव सूर्य प्रकाश का वर्णक्रम कहलाता है।

प्रकाश, विद्युत-चुंबकीय उद्गम से जुड़ी घटना है। प्रकाश की एक किरण वास्तव में विद्युत एवं चुंबकीय विक्षोभ पैदा करने वाली एक तरंग है।

जैसे हम जल तरंगों में पानी की सतह को नियमितता से ऊपर-नीचे होते देखते हैं वैसे ही विद्युत-चुंबकीय तरंगों में इस विक्षोभ की प्रबलता नियमित रूप से बढ़ती-घटती है।

दो अधिकतम या न्यूनतम विक्षोभ वाले निकटतम बिन्दुओं के बीच की दूरी तरंग दैर्ध्य कहलाती है। यह घटना चित्र-1 में दर्शायी गई है।

विद्युत एवं चुंबकीय विक्षोभ का उतार-चढ़ाव समानांतर रेखाओं की सारणी से दर्शाया गया है। विद्युत व चुंबकीय विक्षोभ एक दूसरे के लंबवत हैं और ये दोनों तरंग के गमन की दिशा के लंबवत हैं।

हमारी आँखें जिन किरणों के प्रति संवेदनशील है, यानी की दृश्य प्रकाश, उनमें हम अलग-अलग तरंग दैर्ध्य की किरण अलग-अलग रंगों के रूप में देखते हैं, बैंगनी का तरंग दैर्ध्य सबसे कम और लाल का सबसे अधिक होता है। तरंग दैर्ध्य का फैलाव 400 से 800 नैनो मीटर होता है (एक नैनो मीटर मतलब एक मीटर का एक अरबवाँ हिस्सा)।

चूंकि, प्रिज्म से गुजरते वक्त भिन्न-भिन्न तरंग दैर्ध्य वाली किरणें भिन्न-भिन्न मात्रा में मुड़ती है। बाहर निकलते वक्त में हमें अलग-अलग दिखाई। देती हैं। वैज्ञानिक यह तथ्य वर्णक्रममापी उपकरण (spectrometer) के निर्माण में इस्तेमाल करते हैं।

यह उपकरण विभिन्न स्त्रोतों से निकलने वाली प्रकाश किरणों के अध्ययन में इस्तेमाल किया जाता है और हमें प्रकाश किरणों में सम्मिलित विभिन्न रंगों की संरचना के बारे में जानकारी देता है।

किसी स्त्रोत से आते प्रकाश के वर्णक्रम में केवल विभिन्न रंगों की पट्टियाँ ही नहीं होतीं, उसमें तरंग दैर्ध्य की कुछ विशिष्ट मूल्यों पर काली और चमकीली रेखाएं भी होती हैं।

परमाणु भौतिकी का क्षेत्र हमें इन रेखाओं के तरंग दैर्ध्य एवं उन्हें अवशोषित अथवा उत्सर्जित करने वाले परमाणुओं का संबंध दर्शाता है। इस तरह एक वर्णक्रम विशेषज्ञ किसी स्त्रोत के वर्णक्रम के अध्ययन से ग्रह बता सकता है कि उसमें कौन से परमाणु समाविष्ट हैं।

आईये अब 400-800 नैनो मीटर के अतिरिक्त तरंग दैर्ध्य वाली तरंगों के बारे में जाने। यद्यपि हम ऐसी किरणों का अपनी आंख से उपयोग नहीं कर पाते, उपकरणों द्वारा हम ऐसे वर्यक्रम का विश्लेषण कर वैसी ही जानकारी प्राप्त कर सकते है जैसी की दृश्य प्रकाश द्वारा मिलती है। इस तरह वैज्ञानिक

इस ‘अन्य प्रकार के प्रकाश का, जिसमें रेडियो, माईक्रोवेव और अवरक्त (800 ने. मी. से अधिक तरंग दैर्ध्य वाली) एवं पराबैंगनी, एक्स-रे और गामा-रे (400 ने. मी. से कम तरंग दैर्ध्य वाली) सम्मिलित हैं, अध्ययन करते हैं।

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Rajveer Singh
Rajveer Singh

Hello my subscribers my name is Rajveer Singh and I am 30year old and yes I am a student, and I have completed the Bachlore in arts, as well as Masters in arts and yes I am a currently a Internet blogger and a techminded boy and preparing for PSC in chhattisgarh ,India. I am the man who want to spread the knowledge of whole chhattisgarh to all the Chhattisgarh people.

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