पृथ्वी, सूर्य के चक्कर लगाती है, यह कैसे प्रमाणित किया जा सकता है?

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यह दो तरह के निरीक्षणों द्वारा प्रमाणित किया जा सकता है। पृथ्वी की आज की स्थिति और छः महीने बाद की स्थिति में अंतर होगा, क्योंकि उसे सूर्य का एक चक्कर काटने के लिये बारह महीने लगते हैं।

इसलिए अगर आज और छह महीने बाद किसी नज़दीक के तारे की ओर देखा जाए तो उसकी दिशा में थोड़ी सी तब्दीली नज़र आएगी, जो कि हम नाप सकते हैं।

तारे की दिशा में एक अन्य कारण से भी तब्दीली आती है। हम तारों को स्थिर पृथ्वी से नहीं देखते बल्कि गतिशील पृथ्वी से देखते हैं। इस कारण पृथ्वी के घूमने की गति और दिशा एवं प्रकाश की गति, तारे की (हमें दिखने वाली) दिशा निश्चित करती हैं।

जैसे-जैसे पृथ्वी अपनी कक्षा में अपना स्थान बदलती है वैसे-वैसे तारे की दिशा में आने वाला सूक्ष्म बदलाव हम नाप सकते हैं।

ईसा पूर्व 310-230 के दौरान ग्रीक खगोलशास्त्री अरिस्टाकर्स ने यह दावा किया था कि पृथ्वी स्थिर न होकर सूर्य के इर्द-गिर्द घूमती है। अपना दावा सिद्ध करने लिये उसने उपरोक्त पहला मार्ग सुझाया था।

लेकिन उस समय निरीक्षणों के साधन आज की तरह विकसित नहीं होने से उसे अपेक्षित प्रमाण नहीं मिल पाया और पृथ्वी स्थिर है यह धारणा और पक्की हो गई। हमारे उपकरण दो शतकों पूर्व ही पर्याप्त रूप से विकसित हुए। और इस कारण कोपर्निकस एवं गैलिलियो के काल में भी पृथ्वी के सूर्य के चक्कर लगाने का कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं था।

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