किसी तश्तरी में पानी रखकर देखें। एक-दो घंटे में वह गायबहो जाएगा। गर्मी के सूखे दिनों में यह विधि जल्द होगी। जब हम पानी को उबालते हैं तब वह सारा का सारा भाप में परिवर्तित हो जाता है।
किंतु कम तापमान पर भी कम मात्रा में यह क्रिया होती रहती है। पानी के अणुओं में से कुछ हवा में जाने की कोशिश में रहते हैं और हवा में मौजूद भाप के कुछ अणु द्रवरूप होने की कोशिश में रहते हैं।
यह दोनों विरोधी क्रियाएं किस गति से चलती हैं यह तापमान, हवा का दबाव, गैस की गति, उसमें भाप का प्रमाण इत्यादि पर निर्भर करता है। इस कारण समुद्र का पानी न खौलते हुए भी भाप के रूप में ऊपर पहुँचता रहता है।