तजब दो तारे एक दूसरे के गुरुत्वाकर्षण के कारण एक दूसरे के इर्द-गिर्द घूमते हैं तो उस जोड़ी को तारायुगल (Binary Star) कहा जाता है। ऐसे अनेक तारायुगल देखे गए हैं।
सीरियस ‘A’ (व्याघ्र) तारा एवं ‘B’ तारे एक तारायुगल के सदस्य हैं। ऐसे तारायुगलों के निरीक्षण से और उनकी स्थिति में होने वाले बदलाव का अध्ययन कर हमें उन तारों के बारे में नई जानकारी प्राप्त होती है।
मुख्यतः हम तारों का द्रव्यमान नाप सकते हैं। अगर युगल में से एक तारा कृष्ण विवर हो (प्रश्न 94 देखिए) तो उसके द्रव्यमान की जानकारी भी उसके नज़दीक के तारे की गति से प्राप्त हो सकती है।
वैसे ही एक तारे से दूसरे तारे की ओर गैस, धूल के कण आदि का प्रवाह हो सकता है। वह अगर तीव्र हो तो ऐसे प्रवाह से क्ष-किरणें निकल सकती हैं। ऐसे तारायुगल X – किरणों की दूरबीन से देखे गए हैं।