छत्तीसगढ़ की रोहिणी बाई परगनिहा | Chhattisgarh Ki Rohini Bai Parganiha

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छत्तीसगढ़ की रोहिणी बाई परगनिहा | Chhattisgarh Ki Rohini Bai Parganiha

रोहिणी बाई परगनिहा का जन्म 1920. ई वी तर्रा गांव छत्तीसगढ़ में हुआ। पिता शिवप्रसाद एवं माता देहुनी बाई थी। रोहिणी 12 वर्ष की थी तब उनका विवाह उफरा गांव के माधव प्रसाद परगनिहा से हो गया। पति स्वतंत्रता सेनानी थे। विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार आदि आंदोलन में लगे हुए थे। रोहिणी भी पति के साथ साथ आंदोलन में कूद पड़ी। रोहणी 1932 में धरना आंदोलन के दौरान अपनी देशभक्ति का प्रथम परिचय प्रस्तुत किया जब उनकी उम्र मात्र 13 वर्ष की थी। कीकाभाई की दुकान जो कोतवाली के ठीक बाजू में है।

उस पर चढ़कर विलायती वस्तुओं का बहिष्कार किया गया। इस बीच वे गिरफ्तार कर ली गई। एक रात तक गिरफ्तार करके रखा गया। दूसरे दिन सजा के लिए कचहरी ले जाया गया तब उन्होंने मजिस्टेंट से कहा कि क्या भारत सिर्फ हमारे लिए बना है? आप यहां का अन्न जल नहीं लेते क्या? हम देश के लिए जुटे है और देश के लिए ही जी रहे है तो क्या आपको हमारे साथ नहीं आना चाहिए? ( छत्तीसगढ़ की रोहिणी बाई परगनिहा | Chhattisgarh Ki Rohini Bai Parganiha )

इतना सुनना था कि मजिस्ट्रेट की आंखे डबडबा गई। श्रीमती रोहणी बाई परगनिहा को 4 माह की सजा व 200 रू. का जुर्माना हुआ। मजिस्ट्रेट ने रोहणी जी से कहा तुझे देना होगा पैसा तब उन्होंने जवाब दिया हम कमाते थोड़ी है साहब, तब उनके घर का समान कुड़की करके ले जाया गया। एक छोटे से चबूतरे पर एकमात्र कंबल दिया गया था, जेल स्मशान भूमी में था। खाने में कीड़े मकोड़े पत्थर वाला भोजन मिलता था वह चावल में बीन बीन कर कुछ दाने खा पाती थी।

उसे प्रतिदिन 20 ग्रह गेहूँ पीसना पड़ता था। एक बोरा चावल भी साफ करना पड़ता था। कुएँ से पानी खींचना पड़ता था। हाथ छिल गए थे। सन् 1932 में कठोर कारावास के दौरान तरह- तरह की यातनाएं सहन करने वाली साहसी महिला से मजिस्ट्रेट ने कहा तुम माफी मांग लो तो उन्होंने वीरता से जवाब दिया माफी क्यों मांगे ? माफी मांगना याने देश को झुकाना है और फिर हम कोई गुनाहकार, नहीं है। ( छत्तीसगढ़ की रोहिणी बाई परगनिहा | Chhattisgarh Ki Rohini Bai Parganiha )

साहसी रोहिणी भारत माता की जय कहती मार खाती थी। उस समय | रोहिणी कांग्रेस के हर अधिवेशन में जाती थी। वह हमेशा केसरिया साड़ी सफेद ब्लाउज नीला रुमाल गले में पहनती थी। जब 1942 में जब उन्होंने झण्डा लेकर जुलुस निकाला तब वे गिरफ्तार कर ली गई अन्य सात महिलाएं भी थी पुलिस गाड़ी में जेल ले जाया गया। उन्हें बी क्लास में रखा गया बाकी महिलाओं को सी क्लास में रखा गया। वे वहां पर चरखा काता करती और पेपर पढ़ा करती थी। बाकी अन्य महिलाओं से काम लिया जाता था।

‘दुव्यवहार किया जाता था। एक बार जेलर आया उसने कहा कि आपको छोड़कर बाकी सब स्त्रियों की चूड़ी तोड़ी जायेगी तब रोहणी जी ने कहा कि आप किसी भी स्त्री की चूड़ी नहीं तोड़ सकते नही तो भारी अनर्थ हो जाएगा । तब उन्होंने इस घटना की जानकारी पुरूष आंदोलनकारियों को देने के लिए कागज के टुकड़े में लिखकर मिट्टी में लपेटकर उनके तरफ फेंक दिया। ( छत्तीसगढ़ की रोहिणी बाई परगनिहा | Chhattisgarh Ki Rohini Bai Parganiha )

फिर जेलर ने स्वयं को ही शांत कर दिया 18 माह जेल से छूटने के बाद वह गांधी जी से मिली। गांधी जी रायपुर में पं. रविशंकर ‘शुक्ल के निवास पर 10 दिन रूके वे मोतीबाग में भाषण दिया करते थे रोहणीजी भी इन्सपेक्टर की ड्रेस में हाथ में झण्डा लिये हुए सभाओं में जाया करती थी । उन्होंने बताया कि हम लोग गांधीजी के आस पास उनके रक्षक की तरह चला करते थे।

एक तरफ महिलाओं की रैली दूसरे तरफ पुरूषों के बीच में महात्मा गांधी होते थे । जब महिलाओं ने धन एकत्रित करके 11000 रू. गांधीजी को भेंट किया तब महात्मा गांधी हृदय से प्रसन्न हुए तथा रोहणी बाई परगनिहा के सिर पर हाथ फेरे। ऐसा लगा जैसे वे धन्यवाद देने के साथ अन्य महिलाओं के प्रति अपना आभार व्यक्त कर रहे हैं। उसने महिलाओं का संगठन तैयार किया, वह 8 दिनों तक गांधी जी के साथ सेवा कार्य करती रही, उनके साथ धमतरी, महासमुंद, भाटापारा, बलौदाबाजार सब क्षेत्रों में पद यात्रा की गांधी जी के साथ, चरखा चलाया सूत भी काता, प्रति दिन 3 मील चलती थी। ( छत्तीसगढ़ की रोहिणी बाई परगनिहा | Chhattisgarh Ki Rohini Bai Parganiha )

उसने महिलाओं को व्यायाम और दंड चलाना सिखलाया। स्वतंत्रता आंदोलन के समय कई बार जेल भी गई। 1942 में आंदोलन के समय जेल में राधा बाई से मुलाकात हुई, आगे उन्हीं के नेतृत्व में सभी महिलाएं कई बार जेल गइ। अंत में आज़ादी मिलने के बाद 15 अगस्त एवं 26 जनवरी को रोहिणी बाई गांधी चौक पर झंडा वंदन में शामिल होती रहीं।

इस प्रकार रोहिणी बाई परगनिहा छत्तीसगढ़ की स्वतंत्रता सेनानी वीर नारी बनीं। उनका नारा था जान भले गंवाना, पर झंडा नीचे ना झुकाना। ( छत्तीसगढ़ की रोहिणी बाई परगनिहा | Chhattisgarh Ki Rohini Bai Parganiha )

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