छत्तीसगढ़ी व्याकरण का संक्षिप्त परिचय दीजिए।

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छत्तीसगढ़ के नाम को लेकर विद्वानों में मतभेद है। शाब्दिक दृष्टि से छत्तीसगढ़ का अर्थ ‘छत्तीस किले’ से है। साहित्य में छत्तीसगढ़ का प्रयोग गोपाल मिश्र ने ‘खूब तमाशा’ में किया था। छत्तीसगढ़ में बोली जाने वाली भाषा को छत्तीसगढ़ी भाषा कहते हैं। छत्तीसगढ़ी भाषा की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं

1.व्याकरण सम्मत-छत्तीसगढ़ी भाषा व्याकरण सम्मत है। किसी भी भाषा को भाषा का दर्जा तभी मिलता है जब वह व्याकरण सम्मत हो। व्याकरणिक दृष्टिकोण से छत्तीसगढ़ी भाषा पूर्णरूपेण है।

2.विस्तृत क्षेत्र में बोली जाने वाली -छत्तीसगढ़ी भाषा विस्तृत क्षेत्र में बोली जाती है। छत्तीसगढ़ क्षेत्रों में रायगढ़, सरगुजा, कोरिया, कवर्धा, जशपुर, कोरबा, महासमुन्द, धमतरी,जांजगीर, दन्तेवाड़ा, काँकेर, राजनांदगाँव, बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग तथा बस्तर जिले आते हैं।

3.देवनागरी लिपि-छत्तीसगढ़ी भाषा को देवनागरी लिपि में लिखा जाता है हिन्दी की भी लिपी देवनागरी लिपि है ।

4. सरल एवं सुबोध- छत्तीसगढ़ी भाषा, सरल व सुबोध है।

5 .छत्तीसगढ़ी में लिंग निर्धारण- छत्तीसगढ़ी में ‘लिंग’ को एक व्याकरणिक श्रेणी के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है, जिसका शाब्दिक अर्थात् अर्थीय महत्ता है, वाक्य महत्ता नहीं। तात्पर्य यह है कि छत्तीसगढ़ी में वाक्य रचना लिंग से किसी भी रूप में प्रभावित नहीं होती है।

उदाहरण- राम जावत हय । सीता जावत हय।

छत्तीसगढ़ी भाषा में 10 स्वर एवं 30 व्यंजन होते हैं। छत्तीसगढ़ी भाषा के सामान्य बोलचाल व्यवहार में श, ष, त्र, ज्ञ, क्ष, ऋ अक्षरों का प्रयोग नहीं होता है।

6. वचन-सभी भाषाओं की तरह छत्तीसगढ़ी भाषा में भी दो वचन पाए जाते हैं (1) एकवचन (2) बहुवचन

ध्वन्यात्मक विशेषताएँ

(क) छत्तीसगढ़ी में संज्ञा, सर्वनाम में ए और ध्वनियों का क्रमशः अड् और अउ रूप मिलता है, जैसे-बैल-बइल, जैन-जउन।

(ख) इसमें शब्द के मध्य की इ ध्वनि का लोप होता है, जैसे-लड़का-लड़का।

(ग) इसमें अल्पप्राण ध्वनियों के महाप्राण ध्वनियों में परिवर्तन की प्रकृति है, जैसे-जन-झन, कचहरी-कछेरी।

(घ) इसमें ‘स’ के स्थान पर ‘छ’ मिलता है, जैसे-सीता-छीता, सात-छात।

व्याकरणात्मक विशेषताएँ

(क) संज्ञा के एकवचन से बहुवचन बनाने के लिए प्राचीन रूप में अन प्रत्यय तथा आधुनिक रूप में मन प्रत्यय का प्रयोग होता है, जैसे-लइका अन-लइका मन ।

(ख) परसर्गों का प्रयोग निम्न प्रकार होता है कर्ता-शून्य ,कर्म और सम्प्रदान का, ला, बर। करण और अपादान-ले, से। सम्बन्ध के। अधिकरण में, मां।

(ग) उत्तम पुरुष सर्वनाम एकवचन में-मैं, तिर्यक-मोर तथा बहुवचन- हम, हममन आदि रूप मिलते हैं।

(घ) क्रियाओं में वर्तमानकालिक ‘हूँ’ का उत्तम पुरुष एकवचन हदैव म. पु. एकवचन-हवस, प्र. पु. एकवचन हवै, बहुवचन-हवन, हवै आदि का रूप तथा भूतकाल एकवचन में रहेउ, रहयौ, रहै, बहुवचन में रहेन, रहेउ आदि रूप प्रयुक्त होते हैं।

प्रधान उपबोलियाँ-छत्तीसगढ़ी की प्रधान उपबोलियाँ दस हैं सरगुजिया, सदरी, कोरवा, बैगांनी, बिंझवारी, कलंगा, भूलिया, सतनामी, कांकरी,बिलासपुरी तथा हल्बी

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Rajveer Singh
Rajveer Singh

Hello my subscribers my name is Rajveer Singh and I am 30year old and yes I am a student, and I have completed the Bachlore in arts, as well as Masters in arts and yes I am a currently a Internet blogger and a techminded boy and preparing for PSC in chhattisgarh ,India. I am the man who want to spread the knowledge of whole chhattisgarh to all the Chhattisgarh people.

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