क्वेसार क्या होते हैं? उनकी कोणीय त्रिज्या बहुत कम क्यों होती है?

Share your love
Rate this post

“क्वेसार” (Quasar) नाम क्वासी स्टेलार ऑब्जेक्ट (Quasi Stellar Object) (मतलब तारे जैसी वस्तु के संक्षिप्त रूप से बनाया गया है। ये बिंदु रूप चमकीले स्त्रोत होते हैं जिनके वर्णक्रम में चमकीली एवं काली रेखाएं होती हैं (प्रश्न 1 देखिये)।

इनमें से कुछ में से रेडियो विकिरण भी निकलते हैं और अधिकांश में से एक्स-रेज (X-rays) निकलती हैं। लेकिन उनके अन्य तारों से भिन्न होने की वजह उनकी दूरी है। वे हमारी आकाशगंगा के बाहर बहुत अधिक दूरी पर होते हैं और अगर वे इतने चमकीले दिखाई देते हैं तो वे असल में बहुत अधिक ऊर्जा उत्सर्जित करते होंगे।

वास्तव में प्रथम दो खोजे गये क्वेसार 3C 273 और 3C 48 को रेडियो स्रोतों की तीसरे कैंब्रिज कैटलॉग में शक्तिशाली रेडियो स्रोत के रूप में दर्शाया गया है। 3C 273 से निकलने वाली ऊर्जा हमारी हजार करोड़ से अधिक तारों वाली आकाश गंगा से निकलने वाली ऊर्जा से अधिक है।

क्वेसार का रहस्य उसके बहुत संक्षिप्त आयतन से इतनी अधिक ऊर्जा निर्मिती है। उनकी अधिकांश ऊर्जा आकाशगंगा की तुलना में एक बहुत संक्षिप्त क्षेत्र से आती है। इस कारण उनकी कोणीय त्रिज्या 1 से 2 चाप सेकंड ही होती है। क्वेसार के ऊर्जा निर्मित के प्रचलित सिद्धांत के अनुसार क्वेसार के केंद्र में एक विशाल द्रव्यमान का कृष्ण विवर होता है (प्रश्न 101 देखिये)

जो उसके आस-पास के पदार्थ को अपनी ओर खींचता है। वह पदार्थ कृष्ण विवर में गिरते वक्त उसकी परिक्रमा करता है और इस प्रक्रिया में ऊर्जा उत्सर्जित करता है। कई खगोलवैज्ञानिकों का मानना है कि यही प्रक्रिया सक्रिय आकाशगंगाओं में भी होती है, जिस कारण वे विस्फोटक रीति से शक्तिशाली कण एवं विकिरण निर्माण करती हैं। एक अन्य मौलिक सिद्धांत के अनुसार क्वेसार एवं सक्रिय आकाशगंगाओं में हम ब्रह्मांड में होते नूतन पदार्थ के

Share your love
Rajveer Singh
Rajveer Singh

Hello my subscribers my name is Rajveer Singh and I am 30year old and yes I am a student, and I have completed the Bachlore in arts, as well as Masters in arts and yes I am a currently a Internet blogger and a techminded boy and preparing for PSC in chhattisgarh ,India. I am the man who want to spread the knowledge of whole chhattisgarh to all the Chhattisgarh people.

Articles: 1117

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *