क्या स्विफ्ट-टर्टल धूमकेतु पृथ्वी से टकरायेगा? अगर टकराया तो पृथ्वी पर इसका क्या असर होगा? क्या यह खतरा टालना संभव है ? क्या अन्य किसी धूमकेतु या न्यूनग्रहों से ऐसा खतरा है ?
स्विफ्ट-टटल (Swift-Tuttle) धूमकेतु हैली धूमकेतु श्रेणी का है, जो कि 133 वर्ष के अंतराल में पृथ्वी के समीपस्थ कक्ष में प्रवेश करता है।
पिछली बार यह दिसंबर 1992 में हुआ था तथा सन् 2126 के पहले यह पृथ्वी के समीप नहीं पहुँचेगा। साथ ही गणितीय गणना से यह भी स्पष्ट पता चलता है कि कम से कम वर्ष 4479 तक पृथ्वी से इसकी टकराने की संभावना अत्यंत क्षीण है।
भविष्य में धूमकेतु के पृथ्वी के नजदीक आने पर उसकी कक्षा अधिक अचूक रूप जानी जा सकेगी। उस समय यदि वह पृथ्वी से टकराने वाला होगा तो आपातकालीन उपाय कर उसकी कक्षा में बदलाव लाना जरूरी हो जाएगा।
उसके पास एक अंतरिक्ष यान भेजकर उसमें रखे हुए परमाणु बम का विस्फोट भी किया जा सकता है। उस विस्फोट के दबाव से धूमकेतु की दिशा में सूक्ष्म परिवर्तन होकर वह पृथ्वी को से सलाम ठोंककर (!) निकल जाएगा। मेरी ‘धूमकेतु’ नामक कहानी में यही बात दर्शाई गई है।
यदि धूमकेतु पृथ्वी पर टकराता है तो पृथ्वी की संपूर्ण जीवसृष्टि का विनाश हो जायेगा। जिस जगह वह टकरायेगा वहां पर विशाल गढ्ढा हो जाएगा।
घर्षण से उत्पन्न उष्णता से वहां जीव हानि तो होगी ही साथ ही वातावरण में बहुत अधिक मात्रा में उथल-पुथल मचने से अन्य जगहों पर भी जीवन को खतरा हो सकता है। उदाहरण के लिये उष्णता के बढ़ने से वायुमंडल का आक्सीजन ज्वलन क्रिया में नष्ट हो सकता है। ऐसे ही टकराव से डाइनोसर जैसे भीमकाय प्राणियों का विनाश हुआ होगा !
सौभाग्य से ऐसी टक्कर लाख-दस लाख वर्षों में एकाध बार ही होने की संभावना रहती है। फिर भी धूमकेतु के अलावा ऍस्टेरॉईड (न्यून ग्रह) जैसे अनेक छोटे-बड़े गोले सूर्य के चारों ओर घूमते रहते हैं।
सामान्यतः वे मंगल और गुरु ग्रह की कक्षाओं के दरमियान घूमते हैं। उनमें से कुछ (रास्ता भटक कर ?) पृथ्वी के समीप से गुजरते हैं। ऐसा कोई बड़ा गोला पृथ्वी से टकराने से पृथ्वी पर बड़े विनाश की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।
इसलिए ऐसे सभी गोलों की सूची बनाकर उनकी कक्षा नापने की योजना वैज्ञानिकों ने बनाई है, ताकि यदि खतरे की संभावना हो तो समय रहते बचने की योजना की जा सके।