हाँ, जब हम यह ज्यामिति सूर्य के पास के अंतरिक्ष में इस्तेमाल करते हैं तो कुछ ऐसे तथ्य निर्देशित होते हैं जो न्यूटन-युक्लिडियन ज्यामिति से भिन्न होते हैं। इन्हें सिद्ध करने के लिये अनेक परीक्षण किये गये हैं और हर परीक्षण में श्वार्टजशील्ड ज्यामिति का ही समर्थन हुआ है, उदाहरण स्वरूप दूरस्थ तारे या क्वेसार के प्रकाश का सूर्य छूते हुए ‘गुजरते वक्त मुड़ने का परिमाण श्वार्टजशील्ड ज्यामिति के अनुमान जितना ही पाया गया है।
बुद्ध ग्रह की चाल मे मौजूद विसंगति का समाधान भी श्वार्टजशील्ड ज्यामिति द्वारा हो चुका है। इसी तरह ग्रहों से परिवर्तित होकर वापस आते रडार के सिग्नलों का अधिक समय लेना भी इस ज्यामिति के अनुसार ही देखा गया है।
गुरुत्वीय लाल विचलन (रडशिफ्ट) की घटना (जिससे किसी सघन तारे के वर्णक्रम में मौजूद रेखाओं की तरंग दैर्ध्या में एक पद्धतिबद्ध तरीके से वृद्धि होती है) भी श्वार्टजशील्ड ज्यामिति के अनुसार देखी गयी है।