नहीं, ऐसी धारणा के लिये कोई भी शास्त्रीय प्रमाण नहीं है। इस धारणा पर आधारित विषय को ज्योतिष शास्त्र कहा जाता है। शास्त्र के नजरिए से देखा जाये तो इसमें कई विसंगतियां एवं परख न कर सकने वाले तर्क हैं।
शास्त्र की किसी भी शाखा में पूर्वानुमानों के सत्यापन के लिये नियंत्रित प्रयोग किये जाते हैं व पद्धतिबद्ध तरीके से प्रेक्षण किये जाते हैं। उसके बाद ही उन पूर्वानुमानों को प्रस्थापित माना जाता है।
जब भी ऐसी तकनीक ज्योतिष शास्त्र के लिये इस्तेमाल की गयी तो वह हमेशा विफल ही रही है। हमें आत्मनिर्भर होकर अपने भाग्य को दूरस्थ तारो और ग्रहो पर न छोड़कर खुद बनाना चाहिए ।