वैज्ञानिकों के अनुसार भौतिक शास्त्र के नियम ही इस ब्रह्मांड का संचालन करते हैं। फिर भी कुछ प्रश्न अनुत्तरित हैं जैसे कि ब्रह्मांड के संचालन के लिये नियम क्यों हैं ? ब्रह्मांड के सभी हिस्सों में समान नियम क्यों लागू होते हैं ? ये नियम ऐसे ही क्यों हैं, अलग क्यों नहीं ? अल्बर्ट आईन्स्टाईन ने सटीक कहा है “ब्रह्मांड के बारे में सबसे अगम्य बात यह है कि वह सुबोध है।”
ब्रह्मांड एक ही है या अनेक ?
कुछ भौतिकी सिद्धांतों के अनुसार अनेक ब्रह्मांड हो सकते हैं। किंतु इनके कोई प्रेक्षणीय सबूत उपलब्ध नहीं हैं। इसलिये ये परिकल्पनाएं ही कही जायेंगी।
क्या पृथ्वी के बाहर जीवसृष्टि होगी ? सूर्यमालिका में अन्य ग्रहों पर जीवसृष्टि होने के क्या प्रमाण हैं?
अंतरिक्ष में तारों के दरमियान के विस्तीर्ण प्रदेश में विशाल वायुमेघ मौजूद होते हैं। उनमें कार्बनयुक्त अणु होने का पक्का सबूत, मिलिमीटर दैर्ध्य की रेडिओ-माईक्रोवेव तरंगों से प्राप्त हुआ है। पृथ्वी के जीव-सृष्टि (Life) की जड़ में जो डी.एन.ए. का अणु होता है, उसके कुछ हिस्से इन कार्बनयुक्त अणुओं में पाए गए हैं। इस कारण किसी ना किसी तारे या ग्रह पर जीवसृष्टि का होना असंभव नहीं है।
फिर भी प्रत्यक्ष सबूत के अभाव में हमारी आकाशगंगा में अतिप्रगत मानव से अधिक विकसित जीव संस्कृतियाँ – कितनी होंगी यह कहना कठिन है। वैज्ञानिकों ने अंदाजा लगाया है कि 100-200 अरब तारों वाली हमारी आकाशगंगा में यह संख्या चंद लाख के आस-पास हो सकती है।
हमारी ग्रहमाला में मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना है। आज तक जितने भी अंतरिक्ष यान मंगल पर भेजे गए उनके शोध कार्य का नतीजा नकारात्मक ही निकला है। इस कारण इस ग्रह पर जीवसृष्टि होने की संभावना पर शंका है। अन्य ग्रहों पर जीवसृष्टि की संभावना और भी कम है। पर, अधिक छानबीन की जरूरत भी है। इस शताब्दी में शायद मानव मंगल ग्रह पर जाकर इस प्रश्न का हलफूड पाएगा।