जब हम एक 1000 वाट वाले प्रकाश के बल्ब को दो मीटर की दूरी से देखते हैं तो वह बहुत चमकीला दिखता है। उसे ही अगर हम 20 मीटर की दूरी से देखें तो वह फीका दिखेगा… करीबन 10 वाट के बल्ब जैसा।
इसलिये जब हम दो तारों के चमक की तुलना करते हैं तो हमें उनकी तरफ समान दूरी से देखना आवश्यक है। जब खगोलशास्त्री ऐसी तुलना करना चाहते हैं तो वह तारों की असमान दूरी को ध्यान में रखते हुए।
यह प्रश्न करते हैं कि उन तारों को 10 पारसैक की दूरी से देखा जाय तो वे कितने चमकीले दिखेंगे? पारसैक अंतर नापने की एक इकाई है और यह करीबन 3×10 कि. मी. है।
इतने अंतर से नापी गयी तारे की चमक उसकी पूर्ण चमक कहलाती है। तारा जहाँ पर स्थित है वहां से हमें दिखने वाली चमक उसकी प्रकट-चमक कहलाती है।
प्रकट-चमक के हिसाब से सूर्य हमसे बहुत करीब होने के कारण आकाश का सबसे चमकीला तारा है। किंतु पूर्ण-चमक के अनुसार देखा जाये तो वह सबसे चमकीला नहीं है। उदाहरण स्वरूप व्याघ्र तारा सूर्य से 23 गुना अधिक चमकीला है।