एक तारा अपने गुरुत्वीय बल एवं अपवर्जन सिद्धांत ( exclusion principle ) से उत्पन्न हुए प्रतिकारक बल द्वारा संतुलन कैसे पा सकता है?

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सूर्य के समान किसी तारे का परमाणु इंधन जब खत्म हो जाता है तब, पर्याप्त बल के अभाव में वह सिकुड़ता जाता है। पाते-पाते जब उसका घनत्व बहुत बढ़ जाता है तो उस पर क्वांदद्म भौतिकी के नियम, विशेषतः पाउली का अपवर्जन सिद्धांत, लागू होता है।

इस सिद्धांत के अनुसार एक निश्चित आयतन में दो इलेक्ट्रॉन एक ही ऊर्जा स्तर में नहीं रह सकते। मतलब किसी निश्चित आयतन में एक साथ रह सकने वाले इलेक्ट्रॉन की संख्या सीमित होगी।

इस कारण तारे के आकुंचन पर अंकुश लगेगा और वह एक सीमा के परे आकुंचित नहीं हो पायेगा। ऐसी स्थिति में वह श्वेत बौना कहलायेगा।

सन 1930 के दशक में यह माना जाता था कि सभी द्रव्यमान वाले तारे ऐसी स्थिति प्राप्त करेंगे। किंतु हमारे देश में जन्मे वैज्ञानिक सुब्रमण्यिम चंद्रशेखर ने यह तर्क किया कि ऐसी स्थिति प्राप्त होना या ना होना तारे के द्रव्यमान पर निर्भर करेगा।

बहुत अधिक द्रव्यमान वाले तारे के केंद्र में तापमान बहुत अधिक होने के कारण इलेक्ट्रॉन के लिये अनेक ऊर्जा स्तर उपलब्ध होंगे और उसमें प्रतिकारक बल उत्पन्न नहीं होगा। ऐसा तारा संतुलन स्थापित नहीं कर सकेगा।

तारे का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान के 1.4 गुना से कम होने पर ही प्रतिकारक बल उत्पन्न होकर गुरुत्वीय बलों की बराबरी कर सकेंगे व तारे को श्वेत बौने के रूप में संतुलन की स्थिति प्रदान कर सकेंगे। इस द्रव्यमान को चंद्रशेखर की सीमा कहा जाता है। इस तरह सभी श्वेत बौनों का द्रव्यमान इस सीमा से कम ही रहेगा।

यह निष्कर्ष पूर्णतः साबित हो चुका है। ऊपर निर्देशित इलेक्ट्रॉन की स्थिति, जिसे की इलेक्ट्रॉन अपकर्ष कहा जाता है, कुछ अन्य कणों में भी पायी जाती है। घनत्व के बहुत अधिक होने पर तारों के अंदर के न्यूट्रॉन ऐसी स्थिति में पहुंच जाते हैं। ऐसी स्थिति में वे तारे न्यूट्रॉन तारे कहलाते हैं।

यह तब अस्तित्व में आता है जबकि एक सुपरनोवा महा विस्फोट (प्रश्न 98 देखिये) से अपना बाहरी आवरण फेंक देता है और उसका अंदरूनी हिस्सा बहुत घना हो जाता है। जब तक एक न्यूट्रॉन तारा सूर्य के दुगुने या तिगुने से कम द्रव्यमान का होता है, वह न्यूट्रान निषेध बल की सहायता से संतुलन पा सकता है।

यदि तारे का द्रव्यमान इससे अधिक, याने की सूर्य से 3 गुना से अधिक हो, तो वह श्वेत बौना या न्यूट्रॉन तारे के रूप में संतुलन की स्थिति में नहीं रह सकता और ऐसा माना जाता है कि वह एक कृष्ण विवर बन जायेगा (प्रश्न 94 देखिये)।

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Rajveer Singh
Rajveer Singh

Hello my subscribers my name is Rajveer Singh and I am 30year old and yes I am a student, and I have completed the Bachlore in arts, as well as Masters in arts and yes I am a currently a Internet blogger and a techminded boy and preparing for PSC in chhattisgarh ,India. I am the man who want to spread the knowledge of whole chhattisgarh to all the Chhattisgarh people.

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