24 जून 1947 के दिन एक शौकिया विमान चालक को अमेरिका की माऊंट रेनियर के पास उडान भरते वक्त आकाश में उड़ती तश्तरियों दिखाई पड़ीं। यह इन तश्तरियों का मशहूर प्रथम उदाहरण होगा। उस वैमानिक का नाम केनेथ आर्नोल्ड था। इसके बाद समय-समय पर कई लोगों ने ऐसी उड़ती हुई वस्तुएं देखने का दावा किया है।
आकाश में उड़ती इन अपरिचित वस्तुओं को यू.एफ.ओ.” (अन-आयडेंटीफाईड फ्लाईंग ऑब्जेक्ट) के नाम से जाना जाता है। अर्थात इन अपरिचित वस्तुओं की पहचान हो जाए तो यह नाम उपयुक्त नहीं रहेगा। परंतु यह पहचान होने तक इन्हें किसी पराये जीव-सृष्टि से आया हुआ अंतरिक्ष यान समझ लेना गलत होगा।
आर्नोल्ड अध्याय के बाद ऐसी उड़ती हुई वस्तुओं के और मामले समाचार पत्रों में प्रकाशित होने पर उनकी वैज्ञानिक रूप से जाँच की गई। प्रॉजेक्ट साइन, प्रॉजेक्ट ब्लू बुक इत्यादि जाँच परियोजनायें अमेरिका में चलाई गई। इनसे हमें यू.एफ.ओ. के बारे में निम्नलिखित जानकारी मिलती है
1) क्षितिज के पास उदय या अस्त होने वाला शुक्र ग्रह कई बार ‘अंतरिक्ष यान जान पड़ा है।
2) मरुस्थल के मृगजल समान आकाश में भी कुछ दृष्टिभ्रम यू. एफ. ओ. का एहसास दिला सकते हैं। केनेथ आर्नोल्ड का अनुभव शायद इसी प्रकार का था।
3) मानव द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गए कृत्रिम उपग्रह अथवाअंतरिक्ष यान यू.एफ.ओ. जान पड़ सकते हैं।
4) यू.एफ.ओ. दिखाई देने का दावा करने वाले कुछ लोगों की मनोचिकित्सकों द्वारा जाँच करने पर पहले भी उन लोगों को इस तरह के आभास होने की अथवा काल्पनिक कथाएँ गढ़ने की बातें सामने आई हैं।
तस्वीरों में यू. एफ. ओ. का सबूत अधिकांश समय बनावटी पाया गया है।
संक्षिप्त में परग्रह से कोई अंतरिक्ष यान पृथ्वी पर आ चुका है. इस बात का कोई भी वैज्ञानिक सबूत यू. एफ. ओ. की तहकीकात में नहीं पाया गया है।