अर्ध-स्थिर अवस्था सिद्धांत क्या है?

Share your love
Rate this post

अर्ध-स्थिर अवस्था सिद्धांत सन् 1948 में हरमन बॉडी, टोमी गोल्ड व फ्रेड हॉईल ने, बिग बैंग सिद्धांत के विकल्प के रूप में प्रस्तुत किये गये स्थिर अवस्था सिद्धांत की परिवर्तित आवृत्ति के रूप में प्रस्तुत किया।

स्थिर अवस्था सिद्धांत में यह माना जाता है कि ब्रह्मांड का कोई आरंभ और अंत नहीं होता और वह हमेशा एक ही स्थिति में बना रहता है। वह एक स्थायी गति से प्रसरण करता है और उसका घनत्व स्थायी बना रहने के लिये उसमें नये पदार्थ का सृजन होता रहता है।

अर्ध-स्थिर अवस्था सिद्धांत में केवल एक बदलाव लाया गया है। इसके अनुसार ब्रह्मांड स्थायी रूप से प्रसरण करने के साथ-साथ आंदोलित भी होता है। जिस कारण उसमें प्रसरण और आकुंचन होते रहता है और नये पदार्थ का सृजन नियत कालीन विस्फोटों में होता है।

अर्ध-स्थिर अवस्था सिद्धांत में नये पदार्थ का सृजन गुरुत्वीय बल वाले क्षेत्रों में विस्फोटक तरीके से होता है। तीव्र क्वेसार व सक्रिय आकाशगंगायें ऐसे क्षेत्रों के उदाहरण हैं (प्रश्न 105 देखिये)।

चूँकि, गुरुत्वीय क्षेत्र ऋण ऊर्जा काभंडार होता है, उसमें पदार्थ के निर्मित होने से ऊर्जा संरक्षण का उल्लंघन नहीं होता। इस नये पदार्थ से तारों एवं आकाशगंगाओं का निर्माण होता है। तारों का बनना एवं उनके जलकर खत्म होने का सिलसिला ब्रह्मांड के प्रत्येक दोलन में जारी रहता है।

इन पुराने तारों के विकिरण हमें माईक्रोवेव पार्श्वभूमि (प्रश्न 110 देखिये) के रूप में नज़र आते हैं।इस सिद्धांत को सन् 1993 में फ्रेड हॉईल, जेफ्री बर्बिज एवं जयंत नार्लीकर ने प्रस्तुत किया था। यह सिद्धांत ब्रह्मांड विज्ञान के विभिन्न प्रेक्षणों के साथ जिनमें WMAP (प्रश्न 110 देखिये) के प्रेक्षण भी शामिल हैं, संगत है।

यह सिद्धांत अनेक नये पूर्वानुमान करता है जो कि बिग बैंग सिद्धांत से भिन्न हैं। इनमें से एक बहुत पुराने तारों का मौजूद होना है। यह देखा जाना है कि भविष्य में इनका सत्यापन होता है कि नहीं।

Share your love
Rajveer Singh
Rajveer Singh

Hello my subscribers my name is Rajveer Singh and I am 30year old and yes I am a student, and I have completed the Bachlore in arts, as well as Masters in arts and yes I am a currently a Internet blogger and a techminded boy and preparing for PSC in chhattisgarh ,India. I am the man who want to spread the knowledge of whole chhattisgarh to all the Chhattisgarh people.

Articles: 1094

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *